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गुरु शुक्राचार्य की रोचक कथा: एक आंख के फूटने की वजह

गुरु शुक्राचार्य की कथा में एक आंख के फूटने का दिलचस्प रहस्य छिपा है। यह कहानी दैत्यों के गुरु की अद्भुत यात्रा और उनके ज्ञान को दर्शाती है। जानें कैसे एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान यह घटना घटी और किस प्रकार भगवान विष्णु ने इस कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 

गुरु शुक्राचार्य की कहानी

गुरु शुक्राचार्य (सांकेतिक तस्वीर)

गुरु शुक्राचार्य की कथा: पौराणिक ग्रंथों में शुक्राचार्य को दैत्यों का गुरु माना गया है, लेकिन उनकी छवि केवल नकारात्मक नहीं है। उन्हें ज्योतिष, नक्षत्र, विद्या और आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गुरु शुक्राचार्य को मृत संजीवनी के विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। उनके पिता महर्षि भृगु थे और उनका बचपन का नाम उषना था। काव्य शास्त्र में उनकी रुचि के कारण उन्हें कवि भी कहा जाता था।

उनकी एक आंख फूट गई थी, जिसके कारण उन्हें एकाक्ष कहा जाता है, जिसका अर्थ है एक आंख वाला। इस घटना के पीछे एक दिलचस्प कथा है।

गुरु शुक्राचार्य का सूक्ष्म रूप

कथा के अनुसार, राजा बलि और गुरु शुक्राचार्य एक धार्मिक अनुष्ठान में व्यस्त थे। तभी भगवान विष्णु के वामन अवतार वहां पहुंचे। वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। दैत्य गुरु शुक्राचार्य को यह पता था कि वामन वास्तव में भगवान नारायण हैं, इसलिए उन्होंने राजा बलि को रोकने के लिए अपने आपको सूक्ष्म रूप में बदल दिया और कमंडल की नालिका पर बैठ गए ताकि पानी को रोका जा सके।

शुक्राचार्य की आंख का फूटना

वामन भगवान ने शुक्राचार्य की योजना को समझ लिया। उन्होंने पात्र के मुंह में एक तिनका डालकर शुक्राचार्य की एक आंख में चुभो दिया। इस दर्द से शुक्राचार्य बाहर आ गए, जिससे पानी बह गया और राजा बलि ने दान का संकल्प पूरा किया। इसके बाद वामन भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और पूरी पृथ्वी, आकाश और त्रिलोक का साम्राज्य ले लिया। बलि को पाताल लोक में स्थापित किया गया। इसी घटना में गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई और उन्हें एकाक्ष कहा जाने लगा।

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