×

कफ सिरप से बच्चों की मौत: स्वास्थ्य मंत्रालय की नई सलाह

हाल ही में राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के मामलों के बाद, स्वास्थ्य मंत्रालय ने कफ सिरप के उपयोग को लेकर नई सलाह जारी की है। जांच में पाया गया कि सिरप में किसी भी प्रकार के हानिकारक टॉक्सिन नहीं मिले हैं। मंत्रालय ने दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं न देने की सलाह दी है। जानें इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है और बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन की अनुपस्थिति

नई दिल्ली। राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़े कफ सिरप के नमूनों में किसी भी प्रकार के किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले टॉक्सिन नहीं पाए गए हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को साझा की।


सैंपल की जांच और निष्कर्ष

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और द सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन जैसी एजेंसियों ने बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से कफ सिरप के नमूने एकत्र किए।


जांच में यह स्पष्ट हुआ कि किसी भी नमूने में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल का पता नहीं चला। राज्य के अधिकारियों ने भी इन दूषित पदार्थों की अनुपस्थिति की पुष्टि की।


बच्चों के लिए दवा के उपयोग पर सलाह

हालांकि, केंद्र ने बच्चों के लिए कफ सिरप के उपयोग को सीमित करने की सलाह दी है। डायरेक्टर जनरल ऑफ हेल्थ सर्विस ने बताया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाएं नहीं दी जानी चाहिए।


विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में खांसी के अधिकांश मामले बिना दवा के ठीक हो जाते हैं, जिसके लिए हाइड्रेशन, आराम और उचित देखभाल आवश्यक है।


स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी

स्वास्थ्य मंत्रालय ने सलाह दी है कि: दो साल से कम उम्र के बच्चों को सर्दी-खांसी की दवा न दें।


पांच साल से कम उम्र के बच्चों को दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।


बच्चों को पर्याप्त तरल पदार्थ, सही देखभाल और भाप देने की सलाह दी गई है।


किडनी फेल होने से हुई मौतें

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 15 दिनों के भीतर 9 बच्चों की मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कफ सिरप में डाइथिलीन ग्लाइकॉल, एक जहरीला पदार्थ, मिला हुआ था।


छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने घटना के बाद इन सिरपों की बिक्री पर रोक लगा दी और सभी संबंधित पक्षों को एडवाइजरी जारी की।


राजस्थान में भी मौतें

राजस्थान में भी तीन बच्चों की मौत का कारण कफ सिरप बताया गया है।


हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सिरप में प्रोपिलीन ग्लाइकॉल नहीं है, जो कभी-कभी संदूषण का स्रोत हो सकता है।


सैंपल की जांच जारी

राजस्थान से लिए गए सैंपल की जांच की जा रही है और सिरप बनाने वाली कंपनी की भी जांच की जा रही है। राज्य सरकार ने केसन फार्मा के सभी उत्पादों की गहन जांच के आदेश दिए हैं।