ओवैसी ने ट्रंप के H-1B वीजा शुल्क पर मोदी सरकार को घेरा
H-1B वीजा पर नया शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए सालाना 1 लाख डॉलर का शुल्क लागू कर दिया है। इस निर्णय पर हैदराबाद से सांसद और AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला किया है। ओवैसी ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
ओवैसी का सोशल मीडिया पर बयान
ओवैसी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि ट्रंप ने H-1B वीजा प्रणाली को लगभग समाप्त कर दिया है, जिससे भारत के लोग, विशेषकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के निवासी, सबसे अधिक प्रभावित होंगे। उन्होंने यह भी पूछा कि इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा और यह भारतीय विदेश नीति के लिए क्या संकेत है।
AIMIM प्रमुख के सवाल
ओवैसी ने कहा, 'H-1B वीजा का लगभग 71-72% हिस्सा भारतीयों को दिया जाता है। भारत में, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश इसके सबसे बड़े लाभार्थी हैं। भारतीय H-1B धारकों का औसत वार्षिक वेतन लगभग 120,000 डॉलर है, जो मुख्य रूप से टेक्नोलॉजी क्षेत्र में कार्यरत हैं। यह वेतन भारत के 125 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारतीय NRI जमा का 37% हिस्सा है। अब एक महत्वपूर्ण अवसर समाप्त हो गया है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?'
ट्रंप से नाराजगी नहीं, मोदी सरकार से
ओवैसी ने स्पष्ट किया कि उनकी नाराजगी ट्रंप से नहीं है, बल्कि मोदी सरकार से है। उन्होंने कहा, 'हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप से आपको क्या हासिल हुआ? मैडिसन स्क्वायर गार्डन में प्रवासी भारतीयों को इकट्ठा करने से क्या लाभ हुआ? जन्मदिन की शुभकामनाएं विदेश नीति की सफलता नहीं होती। H-1B वीजा को समाप्त करने का उद्देश्य भारतीयों को निशाना बनाना था। अमेरिका द्वारा भारत के साथ संबंधों को खतरे में डालना इस बात का सबूत है कि उन्हें हमारे सामरिक महत्व की परवाह नहीं है।'
भारत की कमजोर स्थिति
ओवैसी ने कहा, 'हमें इसे अमेरिका द्वारा हाल ही में भारत के साथ किए गए अन्य कार्यों के संदर्भ में देखना चाहिए। भारी टैरिफ, पाकिस्तान-अमेरिका व्यापार समझौता, और पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौता, जो अमेरिका की सहमति के बिना संभव नहीं था, भारत की कमजोर स्थिति को दर्शाते हैं।'
ट्रंप के दबाव का सामना
ओवैसी ने आगे कहा, 'भारत ने कतर और अन्य 18 देशों के साथ रुपये में भुगतान करने के समझौते किए हैं। हमें इसे सभी बड़े व्यापारिक साझेदारों तक बढ़ाना चाहिए और ट्रंप के दबाव के आगे एक इंच भी नहीं झुकना चाहिए।'
आम भारतीयों को नुकसान
उन्होंने कहा, 'मुझे यह देखकर खुशी नहीं हो रही है। सरकार को आत्मचिंतन करना चाहिए कि भारत विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा में इतनी कठिनाइयों का सामना क्यों कर रहा है। क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि आपने इन मुद्दों को नौटंकी तक सीमित कर दिया है? अंततः नुकसान प्रधानमंत्री मोदी को नहीं, बल्कि आम भारतीयों को हो रहा है। आपने घरेलू दिखावे के लिए हमारे दीर्घकालिक लाभों का बलिदान कर दिया है। 2014-2024 एक खोया हुआ दशक रहा है।'