आरबीआई का मास्टर स्ट्रोक: डॉलर बेचकर बढ़ाया विदेशी मुद्रा भंडार
आरबीआई का प्रभावी कदम
भारतीय रुपये की गिरती स्थिति ने देश की आर्थिक चिंता को बढ़ा दिया था। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से पहले, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। अमेरिका समेत कई अन्य देशों ने इस कदम को भांपने में असफलता दिखाई, और आरबीआई ने बिना किसी शोर के न केवल भारतीय मुद्रा को संभाला, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार को भी बढ़ा दिया।
रुपये को बचाने की रणनीति
रुपये की स्थिति को सुधारने के लिए, रिजर्व बैंक ने अक्टूबर 2025 में 11.9 अरब डॉलर की बिक्री की। इस बिक्री का उद्देश्य रुपये को मजबूत करना था, लेकिन इसके बावजूद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावित नहीं हुआ। डॉलर की बिक्री के बाद भी, भारत का फॉरेक्स रिजर्व बढ़ता गया, जिससे सभी हैरान रह गए। अमेरिका भी इस रणनीति को समझने में असमर्थ रहा।
फॉरेक्स स्वैप का उपयोग
आरबीआई ने डॉलर बेचकर फॉरेक्स रिजर्व को बढ़ाने के लिए फॉरेक्स स्वैप का सहारा लिया। इस प्रक्रिया के तहत, केंद्रीय बैंक ने अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये के बीच क्रय-बिक्री का स्वैप ऑपरेशन किया। तीन साल के लिए यह स्वैप किया गया, जिसमें बैंक आरबीआई को डॉलर बेचेंगे और बदले में रुपये प्राप्त करेंगे। इससे बैंकों के पास लोन देने के लिए अधिक रुपये होंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
अमेरिका की चौंकाने वाली स्थिति
इस प्रक्रिया के दौरान अमेरिका को भी इसकी भनक नहीं लगी, और भारत ने डॉलर बेचकर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया। आंकड़ों के अनुसार, 19 दिसंबर 2025 को समाप्त सप्ताह में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 4.37 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जिससे यह 693.32 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इस मामले में भारत, चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है।
फॉरेक्स रिजर्व के लाभ
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का बढ़ना उसकी आर्थिक ताकत को दर्शाता है। मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार से रुपये की स्थिरता बढ़ती है। इसके अलावा, भारत के पास जितना अधिक सोना होगा, उतना ही आयात सस्ता होगा, जिससे महंगाई पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी। इस प्रकार, भारत वैश्विक स्तर पर आर्थिक रूप से और भी मजबूत होता जा रहा है।