अल्जाइमर: एक गंभीर बीमारी और इसके लक्षण
अल्जाइमर की गंभीरता
अल्जाइमर की बीमारी कितनी गंभीर है?Image Credit source: Getty Images
अल्जाइमर रोग: यह एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की याददाश्त, सोचने की क्षमता और दैनिक कार्यों को प्रभावित करती है। अल्जाइमर डिमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यदि इसे समय पर नियंत्रित नहीं किया गया, तो व्यक्ति की याददाश्त पूरी तरह से जा सकती है, जिससे दैनिक कार्यों में भी कठिनाई होती है।
अंतरराष्ट्रीय अल्जाइमर रोग संगठन के अनुसार, वर्तमान में लगभग 55 मिलियन लोग डिमेंशिया से प्रभावित हैं, जिनमें से अधिकांश अल्जाइमर के रोगी हैं। यह संख्या 2030 तक 78 मिलियन और 2050 तक लगभग 139 मिलियन तक पहुँच सकती है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भविष्य में यह बीमारी एक बड़ा वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन सकती है। यह रोग मुख्यतः बुजुर्गों में पाया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में यह युवा लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
अल्जाइमर का मुख्य कारण मस्तिष्क में बीटा-अमाइलॉइड और टाऊ प्रोटीन का असामान्य संचय है। यह संचय नर्व सेल्स को प्रभावित करता है और उनके बीच संचार को बाधित करता है। उम्र बढ़ना इसका सबसे बड़ा कारण है, लेकिन आनुवंशिक कारक, अस्वस्थ जीवनशैली, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और धूम्रपान जैसी आदतें भी इस बीमारी को बढ़ावा देती हैं। अल्जाइमर के कारण मरीज की सोचने और याद रखने की क्षमता में कमी आती है। शुरुआत में छोटी-छोटी बातें भूलना, सामान को गलत जगह रखना या नाम भूलना जैसी समस्याएं होती हैं। जैसे-जैसे स्थिति बिगड़ती है, मरीज अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है और पूरी तरह दूसरों पर निर्भर हो जाता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अल्जाइमर के कारण और लक्षण
अल्जाइमर के शिकार होने के कारण और लक्षण
दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल के पूर्व न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. दलजीत सिंह के अनुसार, अल्जाइमर का सबसे बड़ा खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होता है, लेकिन अन्य बीमारियों के कारण यह कम उम्र में भी हो सकता है। आनुवंशिक परिवर्तन, लगातार मानसिक तनाव, और हृदय एवं मस्तिष्क की सेहत का खराब होना भी इसके जोखिम को बढ़ाते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में चीजें बार-बार भूलना, परिचित स्थानों पर रास्ता भटक जाना, सामान्य शब्द भूलना और एक ही सवाल को बार-बार पूछना शामिल हैं। आगे चलकर मरीज को बातचीत करने, तर्क करने और निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
गंभीर स्थिति में मरीज परिवार और दोस्तों को पहचानने की क्षमता भी खो देता है। इसके अलावा, नींद की समस्या, मूड में बदलाव, चिड़चिड़ापन और अवसाद भी इसके संकेत हो सकते हैं। अल्जाइमर एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है, जो समय के साथ मरीज के दैनिक कार्यों को प्रभावित करती है और अंततः व्यक्ति को पूरी तरह दूसरों पर निर्भर बना देती है।
दिमागी स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें
दिमागी सेहत का ध्यान ऐसे रखें
नियमित रूप से दिमाग को सक्रिय रखने वाली गतिविधियाँ करें।
रोजाना व्यायाम और योग करें।
स्वस्थ आहार लें जिसमें फल, सब्जियाँ और ओमेगा-3 फैटी एसिड शामिल हों।
धूम्रपान और शराब से बचें।
रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें।
पर्याप्त नींद लें और तनाव कम करने का प्रयास करें।
यदि पारिवारिक इतिहास है, तो नियमित चिकित्सा जांच कराते रहें।