अमेरिका में मेयर की भूमिका: शहर का CEO और भारत के औपचारिक मेयर के बीच का अंतर
मेयर की भूमिका: अमेरिका बनाम भारत
भारत में जब मेयर का जिक्र होता है, तो आमतौर पर एक चमकदार कुर्सी, रिबन काटने के फोटो सेशन और कभी-कभी विवादों से घिरा एक पद ही याद आता है। इसके विपरीत, अमेरिका में मेयर का मतलब होता है शहर का सीईओ, जो बजट का प्रबंधन करता है, पुलिस विभाग का संचालन करता है, स्कूलों की देखरेख करता है और निवेशकों के साथ बैठकें करता है। यहां मेयर केवल एक औपचारिक चेहरा नहीं है, बल्कि वह शहर की अर्थव्यवस्था और दैनिक जीवन का मुख्य इंजन है। न्यूयॉर्क के निर्वाचित मेयर जोहरान ममदानी अब उन प्रभावशाली मेयरों की सूची में शामिल हो गए हैं, जिन्हें अपने शहर के 'सीईओ' के रूप में कार्य करने का अधिकार प्राप्त है। न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस और शिकागो जैसे शहरों में 'स्ट्रॉन्ग-मेयर सिस्टम' लागू है, जहां मेयर किसी राजनीतिक कार्यपालिका को रिपोर्ट नहीं करते हैं, बल्कि उनके अधिकार सीधे संविधान से आते हैं।
भारत में मेयर का पद: औपचारिकता की सीमाएं
भारत के अधिकांश शहरों में मेयर का पद मुख्य रूप से औपचारिक या प्रतीकात्मक होता है। असली कार्यकारी शक्ति नगर निगम के आयुक्त के पास होती है, जो आमतौर पर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक आईएएस अधिकारी होता है। यह व्यवस्था दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में भी समान है। मेयर नगर निगम के निर्वाचित प्रमुख होते हैं, लेकिन उनके पास प्रशासनिक निर्णय लेने या बजट बनाने का अधिकार नहीं होता। वे राज्य सरकार और राजनीतिक नेतृत्व के प्रति जवाबदेह होते हैं।
अमेरिका में ‘स्ट्रॉन्ग-मेयर सिस्टम’
अमेरिका में शहरों का शासन ढांचा पूरी तरह से भिन्न है। प्रत्येक शहर का अपना सिटी चार्टर या स्थानीय संविधान होता है, जिसके आधार पर नगर प्रशासन संचालित होता है। 'स्ट्रॉन्ग-मेयर सिस्टम' वाले शहरों जैसे न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजेलिस, फिलाडेल्फिया, ह्यूस्टन, सैन फ्रांसिस्को और अटलांटा में मेयर के पास व्यापक कार्यकारी अधिकार होते हैं। वे विभागाध्यक्षों की नियुक्ति और बर्खास्तगी कर सकते हैं, बजट तैयार कर सकते हैं और सिटी काउंसिल के फैसलों को वीटो भी कर सकते हैं। इन शहरों में मेयर वास्तव में शहर के प्रशासन, नीति निर्माण और विकास योजनाओं का प्रमुख होता है।
अमेरिकी मेयर की शक्तियां: शहर पर सीधा नियंत्रण
अमेरिका के संविधान में शहरों को 'होम रूल' का अधिकार दिया गया है, जिससे राज्य सरकारें शहरों को काफी स्वायत्तता प्रदान करती हैं। न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस या शिकागो जैसे बड़े शहरों के मेयर निम्नलिखित कार्य करते हैं:
बजट प्रबंधन
बजट बनाते हैं: न्यूयॉर्क सिटी का वार्षिक बजट 100 अरब डॉलर से अधिक होता है, जो कई भारतीय राज्यों से बड़ा है।
पुलिस और अग्निशामक विभाग का संचालन
पुलिस और फायर डिपार्टमेंट चलाते हैं: मेयर पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति करते हैं और नीतियों का निर्धारण करते हैं।
स्कूल प्रणाली का प्रबंधन
स्कूल सिस्टम मैनेज करते हैं: न्यूयॉर्क में 1.1 मिलियन बच्चे पढ़ते हैं, और मेयर बोर्ड ऑफ एजुकेशन का नेतृत्व करते हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करते हैं: मेट्रो, सड़कें, पार्क – सभी मेयर के दायरे में आते हैं।
आर्थिक विकास
इकोनॉमिक डेवलपमेंट: मेयर अमेजन जैसी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए टैक्स ब्रेक प्रदान करते हैं।
‘वीक-मेयर सिस्टम’ और ‘हाइब्रिड सिस्टम’
अमेरिका के कुछ अन्य शहरों जैसे पोर्टलैंड, शार्लोट, फीनिक्स, डलास, सैन एंटोनियो, सिनसिनाटी और सैक्रामेंटो में 'वीक-मेयर सिस्टम' लागू है। इसमें मेयर की शक्तियां सीमित होती हैं और कई कार्यकारी जिम्मेदारियां सिटी काउंसिल के साथ साझा की जाती हैं। वहीं, कुछ शहरों जैसे सिएटल, बॉस्टन, डेनवर और सैन डिएगो में एक 'हाइब्रिड सिस्टम' है, जहां मेयर के पास प्रशासनिक अधिकार होते हैं, लेकिन सिटी काउंसिल और नागरिक आयोगों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।
भारत में सुधार की आवश्यकता
शहरी शासन के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के महानगरों में बढ़ती जनसंख्या और जटिल प्रशासनिक जरूरतों को देखते हुए मेयर पद को अधिक कार्यकारी अधिकार देने की आवश्यकता है। हालांकि, इसके लिए राज्यों को अपनी मौजूदा व्यवस्था में राजनीतिक इच्छाशक्ति और नीतिगत सुधार दिखाने होंगे। वर्तमान में भारत में मेयर का कार्यकाल आमतौर पर 1 से 5 वर्षों के बीच सीमित रहता है, जबकि अमेरिका में मेयर कई बार पुनर्निर्वाचित होकर लंबे समय तक शहर का नेतृत्व करते हैं।