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अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को विदेशी आतंकी संगठन घोषित किया

अमेरिका ने बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी है। इस कार्रवाई का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की प्रतिबद्धता को दर्शाना है। बीएलए का मुख्य लक्ष्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराना है, जबकि मजीद ब्रिगेड आत्मघाती हमलों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित है। जानें इस संगठन के बारे में और अधिक जानकारी।
 

अमेरिका की नई कार्रवाई

अमेरिका ने पाकिस्तान में सक्रिय बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और इसके अन्य नाम 'मजीद ब्रिगेड' को विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बताया कि बीएलए को 2019 में कई आतंकवादी हमलों के बाद 'स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट' (SDGT) के रूप में नामित किया गया था। तब से, इस संगठन ने कई हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिसमें 2024 में कराची एयरपोर्ट और ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी कॉम्प्लेक्स के पास हुए आत्मघाती हमले शामिल हैं।


विदेश मंत्री का बयान

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ ट्रम्प प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि आतंकवादियों को नामित करना अमेरिका की इस खतरे के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह आतंकवादी गतिविधियों के लिए समर्थन को सीमित करने का एक प्रभावी तरीका है। यह कार्रवाई संशोधित आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और संशोधित कार्यकारी आदेश 13224 के तहत की गई है।


बीएलए का उद्देश्य

बीएलए एक उग्रवादी संगठन है, जिसका मुख्य उद्देश्य बलूचिस्तान को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराना है। उनका आरोप है कि पाकिस्तान सेना बलूचिस्तान में स्थानीय लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करती है। पाकिस्तान ने बीएलए को आतंकी संगठन घोषित किया है और इस संगठन पर भारत और अफगानिस्तान से समर्थन प्राप्त करने का आरोप लगाया है, जिसे दोनों देश नकारते हैं।


मजीद ब्रिगेड की भूमिका

मजीद ब्रिगेड बीएलए का एक विशेष विंग है, जिसे आत्मघाती हमलों के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसमें शामिल होने वाले सदस्यों को कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। इस ब्रिगेड का उद्देश्य दुश्मन को एक विशेष संदेश देने के लिए आत्म-बलिदान करना है, और इसमें आमतौर पर युवाओं की भर्ती की जाती है। मजीद ब्रिगेड की स्थापना 2011 में हुई थी और इसका नाम बलूचिस्तान के दो भाइयों लांगो और मजीद के नाम पर रखा गया है, जो पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए थे।