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अमेरिका ने चीन पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को 90 दिनों के लिए स्थगित किया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लागू टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह कदम व्यापार वार्ता के बीच उठाया गया है, जिससे स्थायी समाधान की उम्मीद बनी हुई है। अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ विवाद का इतिहास, वर्तमान दरें, और भारत के साथ तुलना पर चर्चा की गई है। जानें इस निर्णय के संभावित आर्थिक प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रिया के बारे में।
 

टैरिफ स्थगन का निर्णय


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लागू टैरिफ को अगले 90 दिनों के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह कदम तब उठाया गया जब दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता जारी है, और स्थायी समाधान की उम्मीद बनी हुई है। ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जो 10 नवंबर 2025 तक चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ दरों को स्थिर बनाए रखेगा।


टैरिफ विवाद का इतिहास


  • इस वर्ष अप्रैल में, अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को 145% तक बढ़ा दिया था, जबकि चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125% का टैरिफ लगाया था।

  • मई में, जिनेवा में बातचीत के बाद, दोनों देशों ने अधिकांश टैरिफ को कम करने पर सहमति जताई, जिससे अमेरिका ने चीन पर टैरिफ को 30% और चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर 10% कर दिया।

  • हाल ही में, जुलाई और अगस्त में, दोनों देशों ने स्टॉकहोम और अन्य स्थानों पर सकारात्मक बातचीत की, जिसके परिणामस्वरूप टैरिफ बढ़ाने की समय सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया गया।



वर्तमान टैरिफ दरें और आर्थिक प्रभाव


  • चीन से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका का मौजूदा टैरिफ 30% है, जिसमें 10% बेस दर और 20% फेंटेनाइल-संबंधी अतिरिक्त शामिल है।

  • चीन ने अमेरिकी आयात पर अपनी दर घटाकर 10% कर दी है।

  • विशेषज्ञों का मानना है कि टैरिफ का विस्तार दोनों देशों की GDP पर प्रभाव डालेगा और वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ाएगा।

  • आयात-निर्यात पर निर्भर कंपनियों की लागत में वृद्धि हो सकती है, जिससे व्यापारिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।



भारत के लिए टैरिफ की तुलना


  • हाल ही में, अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% का टैरिफ बढ़ाकर कुल 50% कर दिया है, विशेषकर रूस से तेल खरीदने के संदर्भ में।

  • भारत इस कदम को अनुचित मानता है, जिससे भारत-यूएस व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है।

  • वहीं, चीन के मामले में अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाने से विराम रखा है, संभवतः व्यापार वार्ता और वैश्विक आर्थिक स्थिरता को ध्यान में रखते हुए।



भविष्य की संभावनाएं और वैश्विक प्रतिक्रिया


  • यदि 90 दिनों के भीतर कोई ठोस समझौता नहीं होता है, तो टैरिफ दरें फिर से उच्च स्तर पर लौट सकती हैं, जिससे वैश्विक व्यापार में गिरावट आ सकती है।

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस विवाद को समाप्त करने के प्रयास कर सकती हैं।

  • टैरिफ स्थगन को एक रणनीतिक विराम माना जा रहा है, जो दोनों पक्षों को वार्ता के लिए समय देता है।

  • विशेषज्ञों के अनुसार, यह समय सीमा विस्तार ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के संभावित शिखर सम्मेलन की तैयारी का संकेत भी हो सकता है।



निष्कर्ष

इस प्रकार, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक तनाव को फिलहाल वार्ता के जरिए सुलझाने के प्रयास में टैरिफ बढ़ाने की योजना को टालकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जबकि भारत के प्रति अधिक कड़े टैरिफ लागू कर तनावपूर्ण स्थिति को बनाए रखा है।