हिंदी सिनेमा में शाखा का उदय: बजरंगी भाईजान से लेकर दिलवाले तक
शाखा का प्रभाव हिंदी सिनेमा में
बजरंगी भाईजान का शाखा सीन
हिंदी फिल्मों में मजदूरों की हड़ताल, राजनीतिक संघर्ष और सामाजिक आंदोलनों के दृश्य अक्सर देखने को मिलते थे। नायक के पिता अक्सर मिल मालिकों की साजिशों का शिकार होते थे, लेकिन पिछले दो दशकों में इस प्रवृत्ति में बदलाव आया है। अब नायक संस्कारी और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ दिखाए जाते हैं। कई फिल्मों में नायकों को सुबह-सुबह शाखा जाते हुए दिखाया गया है, जैसे कि सलमान खान का किरदार बजरंगी भाईजान, जो अपने संस्कारों के लिए जाना जाता है।
बजरंगी भाईजान का यादगार दृश्य
हम यहां किसी बायोपिक की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि मुख्यधारा की फिल्मों में शाखा के दृश्य की चर्चा कर रहे हैं। सलमान खान की बजरंगी भाईजान (2015) में, निर्देशक कबीर खान ने इस विषय को बखूबी प्रस्तुत किया। फिल्म में बजरंगी का किरदार हनुमान भक्ति और पाकिस्तान में जयश्रीराम बोलने के लिए प्रसिद्ध है। इस किरदार की पृष्ठभूमि उसके बचपन में ही स्थापित की गई थी।
छोटा बजरंगी और उसकी यादें
छोटा बजरंगी जब शाखा में जाता था
जब बजरंगी बस में यात्रा कर रहा होता है और उसे पता चलता है कि एक यात्री प्रतापगढ़ का है, तो वह खुशी से झूम उठता है। वह अपने पिता दीवाकर चतुर्वेदी के बारे में बताता है, जो चारों वेदों के ज्ञाता और शाखा के प्रमुख थे। इस किरदार को अभिनेता अतुल श्रीवास्तव ने निभाया है। बजरंगी अपने पिता की शाखा में जाने की यादों को साझा करता है, जहां भगवा पताकाएं और भारत माता की तस्वीरें होती हैं।
दम लगा के हईशा में भी शाखा का दृश्य
दम लगा के हईशा में भी दिखी शाखा
2015 में ही एक और फिल्म दम लगा के हईशा में भी शाखा का दृश्य देखने को मिला। इस फिल्म में आयुष्मान खुराना ने एक राष्ट्र भक्त युवक का किरदार निभाया है, जो शादी के बाद भी सुबह शाखा में जाने का प्रयास करता है। इस फिल्म में भी शाखा के दृश्य को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
दिलवाले में गूंजा गेरूआ रंग
दिलवाले में गूंजा- रंग दे तू मोहे गेरूआ
2015 में शाहरुख खान और काजोल की फिल्म दिलवाले में प्रेम का रंग गेरुआ हो गया। इस फिल्म में गाने रंग दे तू मोहे गेरुआ ने एक नया उल्लास जगाया। इस गाने में प्रेम का रंग गेरुआ था, जो सिनेमा के रंगों में एक नया मोड़ लाया।
सिनेमा का पुनर्जागरण काल
ये सिनेमा का भी पुनर्जागरण काल है
सिल्वर स्क्रीन पर शाखा, गेरूआ और केसरिया रंगों का आना सिनेमा के पुनर्जागरण का संकेत है। बजरंगी भाईजान में इन रंगों का मिश्रण देखने को मिलता है। सलमान खान का किरदार इन रंगों के साथ ही पाकिस्तान की धरती पर भी जयश्रीराम बोलता है। यह सिनेमा के नए युग का प्रतीक है।