भारतीय क्रिकेट में वर्कलोड मैनेजमेंट पर उठे सवाल
वर्कलोड मैनेजमेंट पर विवाद
हाल के दिनों में भारतीय क्रिकेट टीम के वर्कलोड मैनेजमेंट पर काफी चर्चा हो रही है। पूर्व क्रिकेटर्स इस मुद्दे की तीखी आलोचना कर रहे हैं। सुनील गावस्कर ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए कहा कि इसे भारतीय क्रिकेट की शब्दावली से हटा देना चाहिए। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणी जसप्रीत बुमराह के संदर्भ में नहीं है, क्योंकि बुमराह इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम टेस्ट मैच से चोट के कारण बाहर हुए थे, न कि वर्कलोड के चलते। अब एक और पूर्व क्रिकेटर ने इस प्रबंधन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, इसे एक प्रकार का ड्रामा करार दिया है.
जसप्रीत बुमराह की स्थिति
जसप्रीत बुमराह ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 में से केवल 3 टेस्ट मैच खेले। कुछ पूर्व क्रिकेटर्स, जैसे इरफान पठान, ने महत्वपूर्ण मुकाबलों में उनकी अनुपस्थिति पर सवाल उठाए हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, बुमराह एशिया कप टी20 में खेल सकते हैं, लेकिन अक्टूबर में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट में उन्हें आराम दिया जा सकता है। चोट और वर्कलोड के कारण, यह स्टार पेसर कई महत्वपूर्ण मौकों पर टीम के लिए उपलब्ध नहीं रहे हैं, जैसे कि चैंपियंस ट्रॉफी में उनकी अनुपस्थिति।
संदीप पाटिल की प्रतिक्रिया
बीसीसीआई के पूर्व मुख्य चयनकर्ता संदीप पाटिल ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि वह हैरान हैं कि बीसीसीआई इस पर सहमत क्यों हो रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब फिजियो कप्तान और मुख्य कोच से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है? क्या हमें चयन समिति की बैठकों में फिजियो की उपस्थिति की उम्मीद करनी चाहिए? पाटिल ने गावस्कर की तरह सख्त लहजे में कहा कि जब आप अपने देश के लिए चुने जाते हैं, तो आपको देश के लिए पूरी मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे सुनील गावस्कर ने एक मैच के सभी पांचों दिन बल्लेबाजी की और कपिल देव ने टेस्ट के अधिकांश दिनों गेंदबाजी की। उन्होंने कभी भी ब्रेक नहीं मांगा और उनका करियर 16 साल से अधिक चला।