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बेंगलुरु में जोमाटो डिलीवरी ब्वॉय का वीडियो वायरल, इंसानियत पर उठाए सवाल

बेंगलुरु में एक जोमाटो डिलीवरी ब्वॉय का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें उसने अपनी नौकरी की चुनौतियों और इंसानियत की कमी पर सवाल उठाए हैं। अर्जुन सेठी ने बताया कि कैसे सुरक्षा कारणों से उन्हें ग्राहक का ऑर्डर पहुंचाने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ा। उन्होंने लोगों से अपील की कि डिलीवरी एजेंट्स को केवल एक सेवा नहीं, बल्कि इंसान की तरह देखा जाए। यह वीडियो गिग वर्कर्स की कठिनाइयों को उजागर करता है और हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम उनके साथ सही व्यवहार कर रहे हैं।
 

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ डिलीवरी ब्वॉय का वीडियो

बेंगलुरु से एक वीडियो ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। यह वीडियो एक सामान्य डिलीवरी एजेंट अर्जुन सेठी का है, जो फूड डिलीवरी सेवा ज़ोमैटो से जुड़ा हुआ है। अर्जुन ने अपने मोबाइल से अपनी रोजमर्रा की नौकरी की कठिनाइयों को साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया कि डिलीवरी एजेंट का काम बाहर से देखने में जितना सरल लगता है, वास्तव में वह उतना ही थकाऊ और चुनौतीपूर्ण है।

वीडियो में अर्जुन एक रेजिडेंशियल सोसाइटी के बाहर खड़े हैं। वह बताते हैं कि उन्हें ग्राहक का ऑर्डर पहुंचाने के लिए अपनी बाइक को लगभग 500 से 600 मीटर दूर पार्क करना पड़ा। इसका कारण यह था कि सोसाइटी के सुरक्षा गार्ड ने उन्हें अंदर बाइक ले जाने की अनुमति नहीं दी। मजबूरन, अर्जुन को खाना हाथ में लेकर पैदल चलना पड़ा। वह यह भी कहते हैं कि यदि ग्राहक थोड़ी समझदारी दिखाते हुए बाहर आकर खाना ले लेते, तो उन्हें इतनी परेशानी नहीं होती।

अर्जुन की नाराज़गी

अर्जुन वीडियो में यह भी बताते हैं कि जब वह रिकॉर्डिंग कर रहे थे, तब भी उन्हें 200 से 300 मीटर और चलना था। वह नाराज़गी के साथ कहते हैं कि न तो किसी ने उन्हें पानी पूछा और न ही यह समझने की कोशिश की कि डिलीवरी एजेंट भी इंसान होते हैं। तेज धूप, बारिश या थकान की परवाह किए बिना उन्हें समय पर डिलीवरी पूरी करनी होती है।

इस वीडियो में अर्जुन अपनी समस्याओं के साथ-साथ पूरे गिग वर्क सिस्टम पर भी सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स का पूरा दबाव डिलीवरी एजेंट पर होता है। कंपनी की तरफ से स्पष्ट निर्देश होते हैं कि ग्राहक जो कहे, वही करना है। यदि ग्राहक रूम तक डिलीवरी की मांग करे, तो वहां तक जाना ही पड़ेगा। मना करने का मतलब है रेटिंग खराब होना या पेनल्टी लगना। अर्जुन कहते हैं कि इस नौकरी में न तो सम्मान मिलता है और न ही बुनियादी सुविधाएं।

इंसानियत की अपील

अर्जुन भावुक होकर लोगों से अपील करते हैं कि डिलीवरी एजेंट्स को केवल एक सेवा नहीं, बल्कि इंसान की तरह देखें। उनका कहना है कि थोड़ी सी इज्जत, थोड़ा सा सम्मान और थोड़ी सी इंसानियत किसी का दिन बेहतर बना सकती है। उन्होंने विशेष रूप से लोगों से कहा कि यदि संभव हो तो डिलीवरी एजेंट को पानी जरूर ऑफर करें और बेवजह उन्हें परेशान न करें।

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हालांकि बहस चाहे जिस दिशा में जाए, लेकिन इस वीडियो ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है। गिग वर्कर्स, विशेषकर डिलीवरी एजेंट्स, हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं। हम उनकी मदद से घर बैठे खाना मंगवा लेते हैं, लेकिन अक्सर उनकी मेहनत और परिस्थितियों को नजरअंदाज कर देते हैं। अर्जुन का वीडियो इसी अनदेखे सच की याद दिलाता है। यह मामला केवल एक डिलीवरी या एक सोसाइटी तक सीमित नहीं है। यह सवाल उठाता है कि क्या हम वास्तव में उन लोगों के साथ सही व्यवहार कर रहे हैं जो हमारी सुविधा के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। शायद इसका जवाब हर किसी को खुद से पूछना होगा।

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