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बाल दिवस पर कलाकारों की बचपन की यादें और खुशियाँ

बाल दिवस के अवसर पर, सन नियो के कलाकारों ने अपने बचपन की यादों को साझा किया। मेघा राय, आनंदिता साहू और गौरी शेलगांवकर ने इस खास दिन को मनाने की अपनी योजनाओं के बारे में बताया। जानें कैसे वे अपने भीतर के बच्चे को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं और इस दिन को खास बनाने के लिए क्या करने वाले हैं।
 

बाल दिवस का जश्न

बाल दिवस केवल बच्चों के लिए नहीं है, बल्कि यह हर किसी को अपने अंदर के बच्चे को जीवित रखने की प्रेरणा देता है। हंसी और मासूमियत से भरे इस विशेष दिन पर, सन नियो के कलाकार मेघा राय, गौरी शेलगांवकर और आनंदिता साहू ने अपने बचपन की प्यारी यादों को साझा किया।

‘दिव्य प्रेम: प्यार और रहस्य की कहानी’ में दिव्या का किरदार निभा रहीं मेघा राय ने कहा, “मेरी माँ हर साल चिल्ड्रेन्स डे को खास बनाती थीं। कभी एक छोटा सा उपहार, कभी मेरी पसंद का खाना, या कुछ हाथ से बना हुआ, हर चीज़ में उनका प्यार झलकता था। स्कूल में उस दिन का उत्साह अद्भुत होता था - कोई यूनिफॉर्म नहीं, रंग-बिरंगे कपड़े, खेल, गाने और ढेर सारी खुशियाँ! आज भी ये यादें मेरे चेहरे पर मुस्कान लाती हैं। इस साल, हम सेट पर बच्चों के साथ चिल्ड्रेन्स डे मनाने की योजना बना रहे हैं।”

‘सत्या साची’ में सत्या का किरदार निभाने वाली आनंदिता साहू ने अपने बचपन को याद करते हुए कहा, “चिल्ड्रेन्स डे मुझे अपने बेफिक्र बचपन की याद दिलाता है, जब मैं बारिश में नंगे पैर दौड़ती थी, अमरूद के पेड़ पर चढ़ती थी और गाँव के मैदान में हंसती थी! वो दिन मासूमियत और शरारत से भरे होते थे। मैं आज भी अपने भीतर के उस बच्चे को जिंदा रखती हूँ। इस बार सेट पर मैं पुराने ज़माने की टॉफियाँ और चॉकलेट्स लेकर आऊँगी, ताकि हम सब मिलकर उन बचपन की मिठास भरी यादों को फिर से जी सकें।”

‘प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी’ में घेवर का किरदार निभाने वाली गौरी शेलगांवकर ने कहा, “चिल्ड्रेन्स डे हमेशा साल के सबसे मजेदार दिनों में से एक होता था! उस दिन स्कूल जाना भी अच्छा लगता था क्योंकि पढ़ाई नहीं होती थी – बस खेल, गाने, और ढेर सारी मस्ती। टीचर भी उस दिन बहुत प्यारे लगते थे – न कोई डांट, न होमवर्क, बस ढेर सारी मस्ती! वही छोटी-छोटी खुशियाँ बचपन को इतना सुंदर बनाती थीं। इस बार हम सेट पर केक काटकर उस बचपन वाली खुशी को फिर से जीएँगे।”

चिल्ड्रेन्स डे के इस अवसर पर, सन नियो अपने दर्शकों को याद दिला रहा है कि अपने भीतर के बच्चे को कभी बड़ा न होने दें, क्योंकि वही दिल की असली मासूमियत और खुशी का स्रोत है।

देखें दिव्या प्रेम: प्यार और रहस्य की कहानी, शाम 7:30 बजे, प्रथाओं की ओढ़े चुनरी: बींदणी – रात 9:00 बजे, सत्या साची रात 8 बजे सिर्फ सन नियो पर।

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