प्रियंका चोपड़ा की अदाकारी से सजी 'हेड्स ऑफ स्टेट' की समीक्षा
फिल्म की कहानी और प्रियंका का किरदार
प्रियंका चोपड़ा की अदाकारी इस राजनीतिक थ्रिलर में एक नई जान डालती है, चाहे वह जोनास के साथ हों या बिना। उनकी भूमिका में जो जीवंतता है, वह प्रशंसा के योग्य है।
कहानी की शुरुआत में प्रियंका का किरदार नोएल पन के साथ भरी हुई है। टॉमाटिना महोत्सव में उनकी पहली पंक्ति है, "मैं बाद में तुमसे मिलूंगी।" यह एक मजेदार शुरुआत है।
हालांकि, जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, प्रियंका का किरदार पीछे हट जाता है और कहानी का ध्यान अमेरिका के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पर केंद्रित हो जाता है, जो आतंकवादियों और खराब लेखन से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की जोड़ी
जॉन सीना और इद्रिस एल्बा की जोड़ी इस फिल्म में मजेदार है। सीना की मासूमियत और उनका यह विश्वास कि हर कोई उन्हें जानता है, फिल्म में एक हलका-फुलका माहौल बनाता है।
उनका किरदार आत्म-व्यंग्य के साथ प्रस्तुत किया गया है, जो इस तरह की कहानी में आवश्यक हल्कापन लाता है।
फिल्म में एक्शन दृश्य मजेदार और वीडियो गेम जैसे हैं। हालांकि, कहानी की गति कभी-कभी धीमी हो जाती है, लेकिन टॉमाटिना महोत्सव का मजेदार माहौल अंत तक बना रहता है।
किरदारों की विशेषताएँ
राज्य के दो प्रमुख व्यक्ति टॉम और जेरी की तरह हैं, और उनके बीच के मतभेद उनके अहंकार से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
फिल्म में कुछ संवाद निश्चित रूप से बचकाने हैं, जैसे कि एक HOS का कहना, "वह कॉल मत करो," और दूसरे का जवाब, "वह कॉल करो।"
प्रियंका चोपड़ा एक घंटे बाद फिर से प्रकट होती हैं, जिससे कहानी में एक नया मोड़ आता है।
किरदार पूरी तरह से कार्टूनिश हैं और कोई भी बड़ा खुलासा अंत में आश्चर्यचकित नहीं करता। 'हेड्स ऑफ स्टेट' एक स्पष्ट एजेंडे के साथ एक तंग फिल्म है: इसे बड़ा बनाना और इसे मजेदार बनाना।