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नवरात्रि में कुट्टू का आटा: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

कुट्टू का आटा नवरात्रि और अन्य उपवासों के दौरान एक लोकप्रिय खाद्य विकल्प है। यह न केवल धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपयुक्त है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। जानें कि कुट्टू का आटा कैसे तैयार किया जाता है, इसके पोषण तत्व क्या हैं, और यह उपवास के दौरान क्यों खाया जाता है। इस लेख में हम कुट्टू के फायदों और इसके सेवन के पीछे के कारणों पर चर्चा करेंगे।
 

कुट्टू का आटा क्या है?


कुट्टू का आटा वास्तव में किसी अनाज से नहीं बनाया जाता है। यदि आप इसे गेहूं, चावल या जौ के समान समझते हैं, तो आप गलत हैं। कुट्टू एक फल की तरह होता है, जो लाल तने और सफेद या गुलाबी फूलों वाले पौधे पर उगता है। जब यह पौधा पूरी तरह से पक जाता है, तो यह छोटे, त्रिकोणीय फलों का उत्पादन करता है। इन फलों को सुखाकर कुट्टू का आटा बनाया जाता है। इसलिए इसे अनाज के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है और उपवास के दौरान इसका सेवन किया जाता है।


कुट्टू का आटा कैसे तैयार किया जाता है?

कुट्टू का आटा बनाने की प्रक्रिया बहुत सरल है। सबसे पहले, जब कुट्टू के पौधे पूरी तरह से पक जाते हैं, तो उनके त्रिकोणीय फलों को इकट्ठा किया जाता है। इन फलों को अच्छी तरह से साफ करने के बाद, इन्हें तेज धूप में सुखाया जाता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि फलों में कोई नमी न हो, क्योंकि नमी से आटा जल्दी खराब हो सकता है।


जब फल पूरी तरह से सूख जाते हैं, तो इन्हें मशीनों या पारंपरिक चक्कियों में पीसा जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, हमें एक बारीक भूरे रंग का पाउडर मिलता है, जिसे हम कुट्टू का आटा कहते हैं। यह आटा बाजार में आसानी से उपलब्ध है, लेकिन यदि आप चाहें, तो आप इन फलों को घर पर लाकर भी पीस सकते हैं।


उपवास के दौरान कुट्टू का आटा क्यों खाया जाता है?

कुट्टू का आटा उपवास के दौरान सबसे लोकप्रिय खाद्य विकल्प है, और इसके पीछे कई कारण हैं:


धार्मिक कारण: भारतीय परंपरा के अनुसार, उपवास के दौरान केवल सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। चूंकि कुट्टू को फल माना जाता है, यह उपवास के नियमों के अनुकूल है। इसलिए लोग इसे धार्मिक रूप से शुद्ध मानते हुए खाते हैं।


ग्लूटेन-मुक्त: कुट्टू का आटा ग्लूटेन-मुक्त होता है, जो इसे गेहूं से अलग बनाता है। यह उन लोगों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है जो ग्लूटेन से एलर्जी रखते हैं या अपने आहार से ग्लूटेन को हटाना चाहते हैं।


ऊर्जा का स्रोत: उपवास के दौरान शरीर को कमजोरी से बचाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कुट्टू का आटा कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है, जो धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करता है और पेट को लंबे समय तक भरा रखता है।


पोषण का भंडार: यह आटा न केवल उपवास के लिए लाभकारी है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी। यह प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर है। ये सभी पोषक तत्व स्वस्थ शरीर बनाए रखने में मदद करते हैं।


पाचन में आसानी: कुट्टू में फाइबर की मात्रा इसे पचाने में आसान बनाती है। उपवास के दौरान, जब पाचन धीमा हो जाता है, कुट्टू का आटा पेट को हल्का रखने में मदद करता है और अपच या सूजन जैसी समस्याओं को रोकता है।


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