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दीपिका पादुकोण: कहानी की अहमियत पर जोर, बड़े बजट की फिल्मों से नहीं है फर्क

दीपिका पादुकोण ने हाल ही में अपनी सोच में बदलाव के बारे में खुलकर बात की है। उन्होंने कहा कि बड़े बजट की फिल्मों की बजाय अच्छी कहानी और सकारात्मक कार्य संस्कृति पर ध्यान देना ज्यादा महत्वपूर्ण है। दीपिका ने ओवरवर्किंग के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी, यह बताते हुए कि कैसे उन्होंने अपने काम के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव किया है। जानें उनके विचार और आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में।
 

दीपिका पादुकोण का नया नजरिया

दीपिका पादुकोण

बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण इस समय मातृत्व का आनंद ले रही हैं। वह फिलहाल फिल्मों से दूर हैं, लेकिन उनकी वापसी जल्द ही होने की उम्मीद है। हाल ही में, दीपिका ने दो बड़े प्रोजेक्ट्स, संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म 'स्पिरिट' और 'कल्कि 2898 एडी' से बाहर निकलने का निर्णय लिया, जिसने मीडिया और जनता में काफी चर्चा पैदा की। इस निर्णय ने बॉलीवुड में पुरानी कार्य संस्कृति और वेतन समानता के मुद्दे को फिर से उजागर किया।

दीपिका ने हाल ही में इस विषय पर अपनी सोच साझा की। उन्होंने कहा कि अब उनकी सोच में बदलाव आया है। उन्हें समझ में आया है कि बड़े बजट की फिल्में, चाहे वो 100 करोड़ हों या 600 करोड़, उनकी प्राथमिकता नहीं हैं। वह अब अच्छी कहानी और सकारात्मक कार्य संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं।

‘बड़े बजट की फिल्मों का महत्व नहीं’

एक साक्षात्कार में दीपिका ने बताया कि उनका ध्यान अब व्यावसायिक सफलता से ज्यादा अच्छी कहानी कहने पर है। वह चाहती हैं कि नए प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिले। दीपिका ने पहले 'छपाक' और '83' जैसी फिल्मों का समर्थन किया था, जो उनकी प्रोडक्शन कंपनी KA प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित थीं। उन्होंने कहा कि अब वह उन प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देती हैं जिनमें सच्चाई हो।

‘ओवरवर्किंग को सामान्य बना दिया गया है’

दीपिका ने यह भी कहा कि कई बार लोग अधिक पैसे की पेशकश करते हैं और सोचते हैं कि यही सबसे महत्वपूर्ण है। लेकिन वह मानती हैं कि कई बार छोटी बजट की कहानियाँ भी महत्वपूर्ण होती हैं। उन्होंने कहा कि हमने ओवरवर्किंग को सामान्य बना दिया है। आठ घंटे का काम किसी भी व्यक्ति के लिए पर्याप्त है। जब आपका मन शांत और शरीर स्वस्थ होगा, तभी आप और अधिक कर पाएंगे। वह अब अपने विचारों में स्पष्ट हैं।