ताजमहल की सफाई का रहस्य: मुल्तानी मिट्टी का जादू
ताजमहल की अद्भुत सुंदरता का राज
ताजमहल, जिसे विश्व के सात अजूबों में से एक माना जाता है, की खूबसूरती सदियों से बरकरार है। यह सफेद संगमरमर का महल, जो विभिन्न मौसमों का सामना करता है, अपनी अद्भुत छवि के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसकी सफाई एक विशेष प्रक्रिया के तहत की जाती है, जिसमें पाकिस्तान से लाई गई मुल्तानी मिट्टी का उपयोग होता है? आज हम इस रहस्य का खुलासा करेंगे।
आगरा का ताजमहल, जो साढ़े तीन सौ सालों से अपनी सुंदरता को बनाए रखने के लिए विशेष देखभाल की जाती है, इस साल भी गर्मियों में इसकी सफाई की जाएगी। इसके लिए मुल्तानी मिट्टी का एक लेप तैयार किया गया है, जिसे 'मड पैकिंग' कहा जाता है। यह प्रक्रिया ताजमहल को सूर्य की तेज किरणों और गर्मी से बचाने में मदद करती है।
मड पैकिंग के दौरान, पहले पानी का छिड़काव किया जाता है, फिर मजदूर बड़े ब्रशों की मदद से इस मिट्टी का लेप पूरे ताजमहल पर लगाते हैं। यह प्रक्रिया तीन से चार महीने तक चलती है। इस मिट्टी की खासियत यह है कि यह गंदगी और प्रदूषण को अपने अंदर समाहित कर लेती है।
जब यह मिट्टी सूखती है, तो इसके कण गंदगी को अपने साथ झड़ते हैं। इसके बाद इसे धोकर ताजमहल की चमक को फिर से जीवंत किया जाता है। पहले साल में एक बार मड पैकिंग की जाती थी, लेकिन अब यह प्रक्रिया साल में दो बार की जाती है।
यह प्रक्रिया पिछले साढ़े तीन सौ सालों से चल रही है, जिसमें मुल्तानी मिट्टी का उपयोग किया जाता है। यह मिट्टी भारत में महिलाओं द्वारा मेकअप से पहले चेहरे को साफ करने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। इसे सिंध से लाकर भारत में विभिन्न स्थानों पर पहुंचाया गया।
मुल्तानी मिट्टी, जिसे फुलेर अर्थ भी कहा जाता है, ताजमहल की गंदगी को खत्म करने के साथ-साथ उसके रंग को भी निखारती है। इसका रासायनिक सूत्र (Mg,Al)2Si4O10(OH)।4(H2O) है। यह मिट्टी न केवल ताजमहल के लिए, बल्कि त्वचा की देखभाल के लिए भी महत्वपूर्ण है।