कैसे एनकेपी साल्वे ने एशिया कप की नींव रखी और इंग्लैंड का वर्चस्व तोड़ा
इस लेख में हम एनकेपी साल्वे की भूमिका पर चर्चा करेंगे, जिन्होंने 1983 में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के वर्चस्व को समाप्त किया और एशिया कप की नींव रखी। जानें कैसे उन्होंने एशियाई क्रिकेट को एक नई दिशा दी और वर्ल्ड कप की मेज़बानी को भी बदल दिया। यह कहानी क्रिकेट के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
Sep 5, 2025, 19:13 IST
बीसीसीआई का उदय और इंग्लैंड का वर्चस्व
वर्तमान में, भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) दुनिया का सबसे महंगा क्रिकेट बोर्ड है। हालांकि, यह हमेशा से ऐसा नहीं था। पहले इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का क्रिकेट में प्रमुख स्थान था। 1983 में, बीसीसीआई के चेयरमैन एनकेपी साल्वे ने इंग्लैंड के इस वर्चस्व को समाप्त करने का कार्य किया।
एशिया कप की शुरुआत का रहस्य
यदि एनकेपी साल्वे को 1983 के फाइनल के लिए दो टिकट मिल जाते, तो एशिया कप की शुरुआत शायद नहीं होती। यह तथ्य आपको चौंका सकता है, लेकिन यह सच है। एशिया कप की शुरुआत 1984 में हुई और अब इसका 17वां सीजन खेला जा रहा है। 1983 में इंग्लैंड बोर्ड द्वारा बीसीसीआई के चेयरमैन के साथ किए गए व्यवहार ने एशिया कप की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। यह टूर्नामेंट एकमात्र गैर-आईसीसी मल्टीनेशनल टूर्नामेंट है।
एनकेपी साल्वे की रणनीति
बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष एनकेपी साल्वे ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के वर्चस्व को समाप्त करने का संकल्प लिया। उन्होंने 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल के लिए ईसीबी से दो अतिरिक्त टिकट मांगे, जिसे ठुकरा दिया गया। उस समय एशियाई क्रिकेट की स्थिति कमजोर थी, लेकिन एनकेपी साल्वे ने न केवल वर्ल्ड कप को इंग्लैंड से बाहर किया, बल्कि एशिया कप की नींव भी रखी।
एशियन क्रिकेट काउंसिल का गठन
हालांकि, इस विषय पर कई थ्योरी हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि एनकेपी साल्वे ने इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड की नींव को कमजोर कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट के साथ मिलकर एशियन क्रिकेट काउंसिल का गठन किया, जिसका उद्देश्य एशिया में क्रिकेट का विकास करना था।
पहला एशिया कप और उसकी मेज़बानी
19 सितंबर 1983 को, एनकेपी साल्वे, पीसीबी के चेयरमैन नूर खान और श्रीलंका के चेयरमैन गामिनी दिसानायके ने मिलकर एक क्रिकेट सम्मेलन का आयोजन किया। हालांकि, उस समय भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका के पास एशिया कप के आयोजन के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे।
यूएई के सहयोग से एशिया कप का आयोजन
इसके बाद, एसीसी ने यूएई सरकार के सहयोग से 1984 में शारजाह में पहला एशिया कप आयोजित किया। उस वर्ष भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका ने भाग लिया, जिसमें भारत ने खिताब जीता। अब यह टूर्नामेंट 8 टीमों के साथ आयोजित होता है, जिसमें एशिया के 30 देश एसीसी के सदस्य हैं।
वर्ल्ड कप की मेज़बानी का नया युग
एनकेपी साल्वे ने वर्ल्ड कप को इंग्लैंड से बाहर आयोजित कराने का भी संकल्प लिया। उन्होंने यह साबित किया कि एशिया भी बड़े मैचों की मेज़बानी कर सकता है। यही कारण है कि आईसीसी का कार्यालय पहले लॉर्ड्स में था, जो अब दुबई में है। इसके बाद, भारत और पाकिस्तान ने मिलकर वर्ल्ड कप के अगले संस्करण की मेज़बानी की।