कुंदन शाह की 'दिल है तुम्हारा' का जश्न: एक रोमांटिक कॉमेडी की समीक्षा
कहानी का सारांश
राज कुमार संतोषी की 1950 के दशक की क्लासिक फिल्म सुजाता पर आधारित, कुंदन शाह की यह फिल्म एक मधुर रोमांटिक कॉमेडी है। संतोषी ने इसे बनाने की इच्छा पिछले दस वर्षों से रखी थी। फिल्म में प्रीति जिंटा ने एक मजबूत भूमिका निभाई है, जिसमें वह रेखा की 'अछूत' बेटी का किरदार निभा रही हैं। शाह ने अछूतता की परिभाषा को आधुनिक और अत्यधिक मेलोड्रामैटिक तरीके से प्रस्तुत किया है।
पहले भाग में, जिंटा अपने हास्य कौशल का प्रदर्शन करती हैं, जो लुसील बॉल और गोल्डी हॉन की याद दिलाता है। फिल्म में उनके सह-कलाकार रामपाल, जो अपने ड्राइवर के रूप में काम कर रहे हैं, उनके साथ मेल खाने की कोशिश करते हैं। कुंदन शाह ने 1980 के दशक की अपनी कॉमेडी कभी हंस कभी ना की याद दिलाते हुए, जिंटा और रामपाल के बीच की केमिस्ट्री को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है।
हालांकि पहले भाग में मजेदार और हल्का-फुल्का माहौल है, दूसरे भाग में कहानी में गंभीरता आ जाती है। जिंटा का किरदार अपने प्यार का बलिदान देती है, जब रेखा की जैविक बेटी महिमा भी उसी व्यक्ति से प्यार करने लगती है। फिल्म का यह हिस्सा थोड़ी पुरानी और परखी हुई कहानी पर आधारित है, लेकिन इसे संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है।
फिल्म में जिंटा का प्रदर्शन प्रमुख है, जबकि रेखा का किरदार अपेक्षाकृत कमजोर है। महिमा चौधरी ने जिंटा की सौतेली बहन का किरदार निभाया है, जो अपनी भूमिका को जीवंत बनाने की कोशिश करती हैं। दिल है तुम्हारा एक हल्की-फुल्की रोमांटिक फिल्म है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है।