कार्तिक और अनन्या की फिल्म 'तू मेरी मैं तेरा' में छिपी खामियां
फिल्म की समीक्षा: क्या है खामियां?
क्या कार्तिक और अनन्या की फिल्म ने असली मुद्दों से ध्यान हटाया? जानें 5 बड़ी खामियां।Image Credit source: सोशल मीडिया
तू मेरी मैं तेरा: कार्तिक आर्यन और अनन्या पांडे की फिल्म ‘तू मेरी मैं तेरा’ क्रिसमस पर रिलीज हुई है, लेकिन क्या यह हर पहलू पर सफल है? समीर विद्वांस के निर्देशन और धर्मा प्रोडक्शन के ग्लैमर के बावजूद, फिल्म में कुछ खामियां हैं जो दर्शकों को खटक सकती हैं। यदि आप इस वीकेंड थिएटर जाने का सोच रहे हैं, तो इन 5 कमियों के बारे में जानना जरूरी है।
1. कहानी में पुराना फॉर्मूला
फिल्म देखने पर ऐसा लगता है कि हम एक पुरानी बॉलीवुड लव स्टोरी देख रहे हैं, जिसे नए अंदाज में पेश किया गया है। हालांकि फिल्म का ट्रीटमेंट आधुनिक है, लेकिन कहानी का ढांचा काफी हद तक पूर्वानुमानित है। दर्शक आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि अगले सीन में क्या होगा। नयापन खोजने वाले दर्शकों के लिए यह थोड़ा 'डिजा वू' जैसा अनुभव हो सकता है।
2. धीमी शुरुआत
फिल्म का पहला भाग काफी सुस्त है। निर्देशक समीर विद्वांस ने कहानी को सेट करने में अधिक समय लिया है। फिल्म की असली जान, यानी इमोशनल कॉन्फ्लिक्ट, इंटरवल के करीब शुरू होती है। तब तक दर्शक कहानी के 'टेक ऑफ' का इंतजार करते रहते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, “भैया, इंजन गरम होने में आधी फिल्म निकल गई।”
3. आसान जवाबों की पेशकश
फिल्म एक गंभीर मुद्दे को उठाती है, जैसे विदेश जाने की चाहत बनाम अकेले माता-पिता की जिम्मेदारी। लेकिन जब इन समस्याओं को सुलझाने की बात आती है, तो फिल्म सरल रास्ता अपनाती है। असल जिंदगी में यह तालमेल इतना आसान नहीं होता, जितना फिल्म में दिखाया गया है। यदि इसे गहराई से दिखाया जाता, तो फिल्म का प्रभाव और भी गहरा होता।
4. सहायक कास्ट का कम उपयोग
फिल्म में नीना गुप्ता, जैकी श्रॉफ और टीकू तलसानिया जैसे अनुभवी कलाकार हैं। लेकिन अफसोस कि उन्हें स्क्रीन पर उतना समय नहीं मिला, जितना वे हकदार थे। टीकू तलसानिया और अन्य कलाकार केवल 'फिलर्स' बनकर रह गए। उनके किरदार कहानी को आगे बढ़ाने के बजाय हीरो-हीरोइन के बीच के गैप को भरने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं। इतने प्रतिभाशाली कलाकारों का बेहतर उपयोग फिल्म में चार चांद लगा सकता था।
5. नेशनल अवॉर्ड विजेता से अधिक की उम्मीद
समीर विद्वांस एक नेशनल अवॉर्ड विजेता निर्देशक हैं। उनसे दर्शकों को उम्मीद रहती है कि वे सिनेमा की सीमाओं को और आगे बढ़ाएंगे। लेकिन ‘तू मेरी मैं तेरा…’ में उन्होंने काफी 'सेफ' गेम खेला है। फिल्म कई जगहों पर घिसे-पिटे रोमांटिक कॉमेडी क्लिशे पर निर्भर करती है, जिन्हें हम वर्षों से देख रहे हैं। एक प्रतिभाशाली निर्देशक से जिस सिनेमाई जादू की उम्मीद थी, वह यहां व्यावसायिक दबाव के कारण कम महसूस होता है।