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कांतारा चैप्टर 1: गुलशन देवैया का अद्वितीय किरदार जिसने फिल्म में जान डाली

कांतारा चैप्टर 1 में गुलशन देवैया ने अपने किरदार कुलशेखर के माध्यम से दर्शकों का दिल जीत लिया। फिल्म ने चार दिनों में 200 करोड़ से अधिक की कमाई की है, और गुलशन का अभिनय इस सफलता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। जानें कैसे उन्होंने अपने किरदार में विभिन्न रंग भरे और ऋषभ शेट्टी के साथ उनकी टक्कर ने फिल्म को और भी रोचक बना दिया। इस लेख में हम गुलशन की यात्रा और उनके अभिनय की विशेषताओं पर भी चर्चा करेंगे।
 

कांतारा चैप्टर 1 में कौन सा अभिनेता छाया?

कांतारा चैप्टर 1 का कौन सा खिलाड़ी छा गया?

Kantara chapter 1: एक सफल फिल्म के लिए क्या आवश्यक है? क्या केवल बेहतरीन स्क्रिप्ट या स्क्रीनप्ले? शायद आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण डायरेक्शन और एक्टिंग हो। लेकिन क्या एक लीड एक्टर अकेले ही सब कुछ कर सकता है? हां, लेकिन ‘कांतारा चैप्टर 1’ में ऐसा संभव नहीं था, क्योंकि ऋषभ शेट्टी ने जिस तरह से कहानी को प्रस्तुत किया है, उसमें हर किरदार का योगदान महत्वपूर्ण था। यही कारण है कि फिल्म ने केवल चार दिनों में भारत में 200 करोड़ से अधिक की कमाई की है। ऋषभ शेट्टी ने हर अभिनेता के किरदार को एक अलग तरीके से तैयार किया। इस प्रकार, 47 वर्षीय अभिनेता ने वास्तव में बाजी मार ली। जी हां, ये ऋषभ शेट्टी और रुक्मिणी वसंत नहीं हैं।

ऋषभ शेट्टी की कहानी केवल ‘कांतारा’ तक सीमित थी। लेकिन इसे आगे बढ़ाने वाले अभिनेता हैं- गुलशन देवैया। फिल्म में उन्होंने कुलशेखर का किरदार निभाया है, जिसे उसके पिता, जो राजा हैं, गद्दी सौंपते हैं। लेकिन वह इतना क्रूर दिखाया गया है कि उसे केवल अपनी मौज-मस्ती से प्यार है। अब हम आपको बताते हैं कि वह असली पावरफुल कैरेक्टर कैसे बने। लेकिन पहले यह जान लें कि यहां भरपूर स्पॉइलर हैं। इसलिए आगे पढ़ने में सावधानी बरतें।


कांतारा का विलेन, जो हीरो के बराबर है

‘कांतारा’ का विलेन, जो हीरो के बराबर है

‘कांतारा चैप्टर 1’ उस गांव की कहानी है, जहां बर्मे (ऋषभ शेट्टी) का जन्म हुआ। उसी गांव में दैव रहते हैं, जो अपने लोगों की रक्षा करते हैं। लेकिन कहानी में असली मोड़ तब आता है जब एक राजा अपने बेटे को राज्य सौंपता है। हालांकि, यह सब कांतारा गांव से दूर हो रहा है। लेकिन ‘ब्रह्मराक्षस’ की हवा कुलशेखर (गुलशन देवैया) को वहां ले आती है। उस समय उनका सामना नहीं होता, लेकिन गुलशन देवैया का नेगेटिव रोल हीरो से कम नहीं था। उनके किरदार में कई सारे रंग हैं।

कुलशेखर का पहला रंग तब दिखता है जब वह अपने पिता के खिलाफ खड़ा होता है। दूसरा रंग, जिसमें वह अपने दोस्तों को प्रिय मानता है, लेकिन राज्य केवल शक्ति प्रदर्शित करने के लिए चाहता है। तीसरा रंग, जिसमें वह कांतारा वालों से बदला लेना चाहता है और वह लेता भी है। चौथा रंग, जिसमें शराब के नशे में कुलशेखर को दिखाया गया है। पांचवां रंग, जहां कुलशेखर अपने परिवार के षड्यंत्र को समझने में असफल रहता है। इसके अलावा, एक ऐसा रंग भी है जिसमें यह क्रूर राजा डरा हुआ नजर आता है.


गुलशन का अंत और नई शुरुआत

गुलशन का एंड और हुई नई शुरुआत

यदि आपने ऋषभ शेट्टी की फिल्म देखी है, तो आप जानते होंगे कि गुलशन देवैया अगले भाग में नहीं होंगे। क्योंकि फिल्म में उनका किरदार समाप्त हो चुका है। लेकिन ऋषभ शेट्टी उनके किरदार के महत्व को समझते थे, इसलिए कुलशेखर की समाप्त होती कहानी से ही दैव और ऋषभ की कहानी की शुरुआत हुई। यदि कुलशेखर वहां नहीं जाता, तो कांतारा की नई लड़ाई कभी शुरू नहीं होती। हालांकि, गुलशन का किरदार नेगेटिव था, लेकिन उन्होंने इसे जिस तरह से निभाया है, उसकी तारीफ की जानी चाहिए।

1. अभिनय: गुलशन देवैया ने कहीं भी यह नहीं दिखाया कि वह किसी से कम हैं। उनका कन्नड़ डेब्यू बेहद प्रभावशाली रहा है। खासकर जब बात विलेन के विभिन्न रंगों की आती है, तो उनका किरदार कुछ खास नहीं था, लेकिन उनके अभिनय ने इसे प्रभावी बना दिया।

2. कहानी में जान डालना: गुलशन का किरदार फिल्म में गांव में समाप्त होता है। जब वह बर्मे के गांव में जाकर दैव पर सवाल उठाता है। उस जगह एक दृश्य है, जिसमें खूंखार खलनायक, जिसे परिवार का बदला लेना था, हर सेकंड अपने एक्सप्रेशंस बदलता है। एक बेहतरीन अभिनेता क्या होता है, यह गुलशन के किरदार से स्पष्ट होता है।

3. ऋषभ को चुनौती देना: ऋषभ शेट्टी और गुलशन का किरदार इस तरह से सेट था कि कोई भी कम नहीं लगता। जब तक दैव की शक्तियां खुद आकर कुलशेखर को मार नहीं देतीं। केवल एक जगह गुलशन देवैया छोटे लगे। बेशक उनका निभाया किरदार लीड से हल्का था, लेकिन कम नहीं। क्योंकि वहां विभिन्न रंग देखने को मिलते रहे। थोड़ा कॉमेडी टच भी था, जिसे दर्शकों ने पसंद किया।


गुलशन की यात्रा की शुरुआत

गुलशन की ऐसे हुई शुरुआत

गुलशन देवैया का जन्म 1978 में कर्नाटक में हुआ। अभिनय में कदम रखने से पहले, देवैया बैंगलोर के एक इंग्लिश थिएटर में गए, जहां उन्हें कुछ छोटे-मोटे रोल मिले और फिर कुछ बड़ा करने के लिए मुंबई चले गए। हालांकि, करियर की शुरुआत अनुराग कश्यप की फीचर फिल्म ‘दैट गर्ल इन यलो बूट्स’ से हुई। इसके बाद एक क्राइम थ्रिलर में काम करने का मौका मिला, जिसमें गुलशन ने अच्छा प्रदर्शन किया। अब उनकी गाड़ी पटरी पर आ चुकी थी। समय के साथ, उन्हें ‘शैतान’, ‘हेट स्टोरी’, ‘पेडलर्स’ जैसी कई फिल्में मिलीं।

लेकिन गुलशन को तब जाना गया जब वह संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम लीला’ का हिस्सा बने। उनका भवानी वाला किरदार भी काफी लोकप्रिय रहा। कांतारा चैप्टर 1 से पहले उनकी तीन फिल्में आई हैं- उलज, जिसमें जान्हवी के साथ थे। फिर सुबह 8 बजे मेट्रो और झांसी का राजकुमार। अब तक वह कुल 25 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके हैं। हर बार एक नया गुलशन देखने को मिलता है, जिसका अभिनय सभी को चौंका देता है। गुलशन को ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड भी मिल चुका है.