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औषधीय गुणों वाले वृक्ष: स्वास्थ्य के लिए लाभकारी पेड़

इस लेख में हम आपको औषधीय गुणों वाले वृक्षों के बारे में जानकारी देंगे। जानें कैसे ये वृक्ष, जैसे अर्जुन, नीम, बबूल, गजपीपली, अशोक और वटवृक्ष, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। इनके विभिन्न उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में जानकर आप गंभीर बीमारियों से राहत पा सकते हैं।
 

वृक्षों का महत्व और औषधीय गुण

प्राचीन काल से मानवता ने वृक्षों का उपयोग किया है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, वृक्ष और मनुष्य एक-दूसरे के लिए आवश्यक हैं। वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण करते हैं, जबकि हम उन्हें जीवनदायिनी ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वृक्ष न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि कई औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं।


कुछ वृक्षों की पत्तियाँ, जड़ें और छालें औषधीय उपयोग के लिए प्रसिद्ध हैं। आइए, हम आपको कुछ ऐसे वृक्षों से परिचित कराते हैं, जिनका उपयोग करके आप गंभीर बीमारियों से राहत पा सकते हैं।


6 पेड़ों की छाल के औषधीय गुण

अर्जुन: अर्जुन वृक्ष भारत में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण औषधीय वृक्ष है। इसकी छाल का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। एक से डेढ़ चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर दो गिलास पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए, तो इसे छानकर ठंडा करें। इसे प्रतिदिन सुबह और शाम पीने से रक्त संचार में सुधार होता है।


नीम: नीम की छाल त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसे संक्रमित स्थान पर लगाने से फोड़े-फुंसी और खुजली में राहत मिलती है। भोजन से पहले एक चम्मच नीम का चूर्ण लेने से मधुमेह नियंत्रित रहता है।


बबूल: बबूल का वृक्ष मुंह के रोगों के लिए फायदेमंद है। इसकी छाल का काढ़ा मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव को रोकने में मदद करता है।


गजपीपली: इसे आमतौर पर मैदा लकड़ी कहा जाता है। इसकी छाल अतिसार के उपचार में उपयोगी होती है। जख्मों पर इसका लेप लगाने से जल्दी ठीक होते हैं।


अशोक: अशोक वृक्ष को शोक नाशक माना जाता है। इसकी छाल का काढ़ा खूनी बवासीर में लाभकारी होता है।


वटवृक्ष: वटवृक्ष का धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व है। इसकी छाल का काढ़ा बवासीर में राहत देता है और इसके पत्तों का उपयोग बालों के लिए फायदेमंद होता है।