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उत्तर प्रदेश में सामूहिक विवाह योजना में नई पहल: आर्थिक सहायता दोगुनी

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में नई पहल की गई है, जिसमें आर्थिक सहायता राशि को दोगुना किया गया है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बेटियों को विवाह में सहायता प्रदान करना है। सरकार ने इस वर्ष एक लाख से अधिक जोड़ों के विवाह कराने का लक्ष्य रखा है। योजना को तकनीकी माध्यमों से जोड़कर पारदर्शिता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा रही है। जानें इस योजना के तहत क्या-क्या बदलाव किए गए हैं और कैसे यह समाज में सकारात्मक प्रभाव डालेगा।
 

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का नया रूप

यदि आप उत्तर प्रदेश में निवास करते हैं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से संबंधित हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना को योगी सरकार ने और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने का निर्णय लिया है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बेटियों को विवाह में सहायता प्रदान करना है। इस वर्ष, सरकार ने एक लाख से अधिक जोड़ों के विवाह कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। योजना को तकनीकी माध्यमों से जोड़कर लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई गई है।


वित्तीय सहायता में वृद्धि और निगरानी प्रणाली

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने योजना के तहत वित्तीय सहायता राशि को दोगुना करने के बाद इसकी निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 से हर जोड़े पर एक लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। सीएम योगी ने कहा है कि यह योजना केवल विवाह कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सम्मान और जरूरतमंदों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।


तकनीकी सुधार और पारदर्शिता

समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण ने बताया कि योजना को तकनीकी माध्यम से और अधिक सरल और पारदर्शी बनाया जा रहा है, ताकि वास्तविक लाभार्थियों को इसका लाभ मिल सके। आवेदन प्रक्रिया से लेकर सामग्री आपूर्ति तक सभी चरणों को डिजिटल निगरानी में लाया जाएगा। उपहारों की गुणवत्ता और वितरण के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, और फर्मों का चयन अब निदेशालय स्तर पर किया जाएगा।


निगरानी के लिए आब्जर्वर की नियुक्ति

सरकार ने सामूहिक विवाह कार्यक्रमों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जनपदों में आब्जर्वर तैनात करने का निर्णय लिया है। एक जिले के समाज कल्याण अधिकारी को दूसरे जिले में भेजा जाएगा। विवाह समारोहों में मंडलीय उपनिदेशक और जिला समाज कल्याण अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य होगी। यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि कोई भी अनियमितता छिप न सके।


पात्र लाभार्थियों की पहचान

शासन स्तर से जनपदीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द पात्र लाभार्थियों की सूची तैयार करें और इस संबंध में अभियान चलाएं। सभी जिलों में पारदर्शी तरीके से आवेदन की जांच की जाएगी, और स्थानीय निकायों के सहयोग से पात्र जोड़ों की पहचान सुनिश्चित की जाएगी।


सामाजिक सहयोग और सम्मान

योजना के प्रभारी उपनिदेशक आर.पी. सिंह ने बताया कि इस वर्ष लगभग एक लाख जोड़ों के सामूहिक विवाह कराने का लक्ष्य रखा गया है। यह न केवल एक सामाजिक सहायता है, बल्कि सामुदायिक भावना और महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने का प्रयास भी है।