अजय और संध्या की पुनर्मिलन की कहानी: एक नई शुरुआत
अचानक मुलाकात
अजय जनरल बोगी में अपनी बर्थ पर सोया हुआ था। अचानक गाड़ी रुकी और जब वह जागा, तो उसकी नजर अपनी पूर्व पत्नी संध्या पर पड़ी। वह नहीं जानता था कि कब वह उसकी सामने वाली सीट पर आकर बैठ गई थी।
छह साल बाद की मुलाकात
छह साल बाद, अजय ने संध्या को देखा। वह काफी कमजोर लग रही थी और सस्ती साड़ी पहने हुए थी। न तो उसके माथे पर बिंदी थी और न ही गले में मंगलसूत्र। क्या उसने अब तक दूसरी शादी नहीं की? क्या वह भी अकेली है? अजय इन सवालों में खोया हुआ था, तभी संध्या की नजर उस पर पड़ी। उनकी नजरें मिलीं, और अजय ने दूसरी तरफ देखने का फैसला किया।
सीट पर बातचीत
अजय ने अचानक सीट से उठकर संध्या के पास बैठे लड़के से कहा कि वह ऊपर वाली सीट पर चला जाए। लड़का मान गया और अजय संध्या के पास बैठ गया। "संध्या, तुम कैसी हो?" उसने पूछा। संध्या ने खिड़की की ओर देखते हुए कहा, "मैं ठीक हूं, और आप?" अजय ने बताया कि त्योहार के कारण रिजर्वेशन नहीं मिला, इसलिए जनरल बोगी में आना पड़ा।
चुप्पी और सवाल
दोनों के बीच कुछ देर तक चुप्पी रही। फिर अजय ने संध्या से पूछा, "क्या तुमने अब तक शादी नहीं की?" संध्या ने कुछ नहीं कहा। जब अजय ने फिर से कुछ नहीं कहा, तो संध्या ने पूछा, "क्या आपने शादी की है?" अजय ने सिर हिलाया।
कुल्फी का प्रस्ताव
तभी डिब्बे में कुल्फी बेचने वाला आया। अजय ने पूछा, "क्या तुम खाओगी?" संध्या ने मना कर दिया। अजय ने कहा, "तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी कुल्फी है, यह तो मैं जानता हूँ।" संध्या हल्का सा मुस्कुराई।
संध्या की सफलता
संध्या ने कहा, "एक शर्त पर खाऊंगी, पैसे मैं दूंगी।" उसने बताया कि वह अब एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती है और महीने के दस हजार रुपये कमाती है।
अतीत की यादें
अजय ने कहा, "तलाक के समय मैंने तुम्हें 30 लाख रुपये देने की पेशकश की थी।" संध्या ने हंसते हुए कहा, "अगर ले लेती, तो अपनी जमीर को क्या जवाब देती?" अजय ने कहा, "मैं बदल गया हूँ। मैंने पीना और गुस्सा करना छोड़ दिया है।"
बच्चों की बात
संध्या ने कहा, "आपके कारण मैं हमेशा तनाव में रहती थी। इसी वजह से मेरे दो गर्भपात हो गए।" अजय की आंखों में आंसू आ गए।
कानपुर की यात्रा
कानपुर स्टेशन आने वाला था। अजय ने पूछा, "तुम कब वापस जाओगी?" संध्या ने बताया कि वह कल सुबह की ट्रेन से जा रही है। अजय ने कहा, "अगर मैं रिजर्वेशन की दो टिकटें ले लूं, तो मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।"
नया सफर
अगले दिन अजय स्टेशन पर समय से पहुंच गया। संध्या ने कहा, "मैं सोच रही थी कि आप चले गए होंगे।" अजय ने कहा, "मैंने तुम्हारा भी टिकट ले लिया है।" ट्रेन आई और दोनों ने सफर शुरू किया। संध्या ने पूछा, "आप गुमसुम क्यों हैं?" अजय ने कहा, "मुझे तुम चाहिए… हमेशा के लिए।"
अंतिम क्षण
संध्या ने कहा, "मैंने अपनी मांग भर ली है। अब अकेले चलने का समय खत्म हो गया है।" अजय के आंसू बहने लगे। संध्या ने उसके कंधे पर सिर रखकर रोना शुरू कर दिया। अब उनकी मंजिल मायका नहीं, बल्कि पिया का घर था।