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EPFO की नई योजना: कर्मचारियों के लिए सुनहरा अवसर

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एक नई योजना की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य उन कर्मचारियों को ईपीएफ के दायरे में लाना है, जो अब तक इससे वंचित रह गए थे। इस योजना के तहत नियोक्ता को केवल 100 रुपये का जुर्माना भरकर अपने कर्मचारियों को भविष्य निधि का लाभ दिलाने का अवसर मिलेगा। यह पहल नियोक्ताओं के लिए एक माफी योजना के रूप में कार्य करती है, जिससे वे बिना किसी कानूनी पचड़े में फंसे अपने कर्मचारियों के अधिकारों को बहाल कर सकते हैं।
 

EPFO की पहल

EPFO: नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए भविष्य निधि (EPF) केवल एक बचत खाता नहीं है, बल्कि यह बुढ़ापे में सहारा और सामाजिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। अक्सर देखा जाता है कि जानकारी की कमी या कंपनियों की लापरवाही के कारण कई योग्य कर्मचारी इस सुरक्षा कवच से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने लाखों कर्मचारियों और नियोक्ताओं को राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ‘कर्मचारी नामांकन योजना-2025’ (EES-2025) की घोषणा की है, जो पूर्व की गलतियों को सुधारने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है.

‘गोल्डन विंडो’ का महत्व

इस नई योजना का मुख्य उद्देश्य उन कर्मचारियों को ईपीएफ के दायरे में लाना है, जो किसी कारणवश अब तक इससे बाहर रह गए थे। ईपीएफओ ने नियोक्ताओं के लिए अगले छह महीने के लिए एक विशेष अनुपालन खिड़की (Special Compliance Window) खोली है.

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इस अवधि में, देशभर के नियोक्ता उन कर्मचारियों को पीएफ योजना में शामिल कर सकते हैं, जो 1 जुलाई 2017 से 31 अक्टूबर 2025 के बीच नौकरी में थे, लेकिन उन्हें ईपीएफ का लाभ नहीं मिला। यह योजना उन कंपनियों के लिए एक ‘माफी योजना’ के रूप में कार्य करती है, जो अब तक अपने कर्मचारियों का पीएफ काटने में असफल रही थीं। अब वे बिना किसी कानूनी पचड़े में फंसे, स्वेच्छा से अपने कर्मचारियों को यह अधिकार दिला सकती हैं.

सिर्फ 100 रुपये का जुर्माना

इस योजना के तहत, यदि नियोक्ता अपनी गलती को सुधारते हैं, तो उन्हें केवल 100 रुपये की नाममात्र दंड राशि जमा करनी होगी। इसके अलावा, जिन मामलों में कर्मचारियों का अंशदान पहले नहीं काटा गया था, वहां नियोक्ता को केवल अपना हिस्सा, धारा 7Q के तहत ब्याज और प्रशासनिक शुल्क ही जमा करना होगा। इसका मतलब है कि पिछले वर्षों का कर्मचारी अंशदान (जो काटा नहीं गया था) उसे अभी जमा करने की बाध्यता से छूट मिल सकती है, जिससे कंपनियों पर आर्थिक बोझ कम होगा.

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