व्हाइट गोल्ड बनाम येलो गोल्ड: कौन सा विकल्प है बेहतर निवेश?
सोने के गहनों में निवेश: व्हाइट गोल्ड और येलो गोल्ड का अंतर
हाल के दिनों में सोने की कीमतों में वृद्धि के चलते, कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि व्हाइट गोल्ड और येलो गोल्ड में से किसमें निवेश करना अधिक लाभकारी है। इस लेख में, हम दोनों प्रकार के सोने के बीच के अंतर और उनके फायदे पर चर्चा करेंगे।
जब लोग सोने के गहनों की खरीदारी करते हैं, तो अक्सर यह दुविधा होती है कि व्हाइट गोल्ड या येलो गोल्ड में से कौन सा चुनें। फैशन के बदलते ट्रेंड और निवेश के दृष्टिकोण ने इस निर्णय को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। युवा पीढ़ी आमतौर पर आधुनिक लुक के लिए व्हाइट गोल्ड को पसंद करती है, जबकि कई लोग परंपरा के कारण येलो गोल्ड को प्राथमिकता देते हैं।
येलो गोल्ड, जो हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है, शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे बनाने के लिए सोने में तांबा और चांदी मिलाई जाती है। पारंपरिक अवसरों पर येलो गोल्ड की मांग हमेशा अधिक रहती है।
दूसरी ओर, व्हाइट गोल्ड आधुनिकता का प्रतीक बन चुका है। इसे सोने में निकल या पैलेडियम मिलाकर तैयार किया जाता है और इसके ऊपर रोडियम की कोटिंग होती है, जिससे यह चांदी जैसा दिखता है। यह विशेष रूप से डायमंड गहनों में अधिक उपयोग किया जाता है।
हालांकि, पारंपरिक अवसरों पर येलो गोल्ड की लोकप्रियता बनी हुई है, लेकिन फैशन के प्रति जागरूक लोग व्हाइट गोल्ड को अधिक पसंद कर रहे हैं।
निवेश के दृष्टिकोण से, येलो गोल्ड को अधिक सुरक्षित माना जाता है। इसकी रीसेल वैल्यू अच्छी होती है और इसे बनाए रखना भी आसान है। जबकि व्हाइट गोल्ड को समय-समय पर कोटिंग की आवश्यकता होती है, अन्यथा इसका रंग फीका पड़ सकता है।