विन्ट्रैक इंक की शिकायत पर वित्त मंत्रालय ने लिया एक्शन, कस्टम विभाग पर लगे गंभीर आरोप
विन्ट्रैक इंक की शिकायत और वित्त मंत्रालय की कार्रवाई
निर्मला सीतारमण और कंपनी के फाउंडर
विन्ट्रैक इंक, जो कि देश में लॉजिस्टिक सेवाएं प्रदान करती है, ने चेन्नई के कस्टम विभाग पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। कंपनी ने कहा कि वह लगातार घूस देने से थक गई है और 1 अक्टूबर को काम बंद करने की घोषणा की। इस पर वित्त मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
वित्त मंत्रालय ने एक सीनियर अधिकारी को नियुक्त किया है, जो इस मामले की गहराई से जांच करेंगे। अधिकारी सभी तथ्यों की समीक्षा करेंगे, संबंधित व्यक्तियों से बातचीत करेंगे, और आवश्यक दस्तावेजों की जांच करेंगे। सरकार ने हाल के वर्षों में टैक्सपेयर्स के लिए कई सुधार किए हैं, जैसे कि टैक्सपेयर चार्टर और फेसलेस कस्टम प्रोसेस, ताकि व्यापार को सरल और पारदर्शी बनाया जा सके। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और सरकार उचित कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विवाद का विवरण
विन्ट्रैक इंक ने भारत में अपने सभी व्यापार को बंद करने का निर्णय लिया है। कंपनी ने कस्टम विभाग पर आरोप लगाया है कि उन्हें परेशान किया जा रहा है और बार-बार रिश्वत मांगी जा रही है। कंपनी के फाउंडर प्रवीण गणेशन ने कहा कि उनकी पत्नी की कंपनी के शिपमेंट को मंजूरी देने के लिए भी रिश्वत मांगी गई। उन्होंने कुछ अधिकारियों के नाम भी लिए हैं, जिन्होंने कथित तौर पर घूस मांगी। उनकी शिकायत पर अब कार्रवाई की जा रही है।
विन्ट्रैक और चेन्नई कस्टम्स के बीच विवाद की शुरुआत जून 2025 में हुई थी, जब गणेशन ने आरोप लगाया था कि एक कस्टम अधिकारी ने उनका शिपमेंट रोक लिया और डेढ़ लाख रुपये की रिश्वत मांगी। उस समय अधिकारियों ने कहा था कि शिपमेंट में आवश्यक दस्तावेज नहीं थे। यह घटना दर्शाती है कि वर्तमान विवाद कोई नया मामला नहीं है, बल्कि यह आयातकों और सीमा शुल्क अधिकारियों के बीच चल रहे तनाव का परिणाम है।
कस्टम विभाग की प्रतिक्रिया
कस्टम विभाग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि कंपनी नियमों का उल्लंघन कर रही है। विभाग का कहना है कि विन्ट्रैक इंक झूठ बोल रही है ताकि उन पर दबाव बनाया जा सके और उनके शिपमेंट की गलतियों को नजरअंदाज किया जा सके।