रुपये की गिरावट: डॉलर के मुकाबले नया रिकॉर्ड निम्न स्तर
रुपये की स्थिति
16 दिसंबर, मंगलवार को रुपये ने अपने सबसे निचले स्तर को छू लिया है। वैश्विक बाजार में कमजोर भावना, विदेशी पूंजी का बाहर जाना और अमेरिका के साथ व्यापार सौदे में अनिश्चितता के चलते रुपये पर दबाव बना हुआ है। सकारात्मक व्यापार आंकड़ों के बावजूद, रुपये की स्थिति मजबूत अमेरिकी डॉलर के सामने कमजोर बनी हुई है।
रुपये में 6% से अधिक की गिरावट
रिपोर्ट के अनुसार, सेशन के दौरान रुपये की कीमत 91.075 प्रति डॉलर तक गिर गई और अंत में यह लगभग 0.3% की गिरावट के साथ 91.0275 पर बंद हुआ। इस वर्ष रुपये ने डॉलर के मुकाबले 6% से अधिक की गिरावट दर्ज की है, जिससे यह 2025 में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली उभरती बाजार की मुद्रा बन गई है।
नए रिकॉर्ड स्तर पर रुपये की गिरावट
यह लगातार चौथा सेशन है जब रुपये ने अपने सबसे निचले स्तर को छुआ है। व्यापारियों का कहना है कि हेजिंग की मांग और पोर्टफोलियो से पैसे निकालने के कारण दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में अनिश्चितता के चलते निवेशक सतर्क हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक वॉशिंगटन के साथ बातचीत में कोई स्पष्ट परिणाम नहीं आता, रुपये में सुधार की संभावना कम है।
सकारात्मक व्यापार आंकड़े
हालांकि, नवंबर के व्यापार आंकड़ों ने कुछ राहत दी है। अमेरिका के उच्च टैरिफ के बावजूद, भारत का निर्यात तेजी से बढ़ा है, जिससे व्यापार वार्ता में भारत की स्थिति मजबूत हुई है और सौदे की जल्दबाजी का दबाव कम हुआ है। फिर भी, इस सुधार का रुपये पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक माहौल
विदेशी निवेशकों ने 2025 में अब तक 18 बिलियन डॉलर से अधिक के भारतीय शेयर बेचे हैं। वैश्विक जोखिम के माहौल ने मंगलवार को घरेलू बाजारों को भी प्रभावित किया, जिसमें बेंचमार्क निफ्टी 50 लगभग 0.6% गिर गया।