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मुंबई की लिंकिंग रोड: सोने की खदान जैसी कीमतें और लग्जरी ब्रांड्स की होड़

मुंबई की लिंकिंग रोड, जो पहले सस्ते फैशन के लिए जानी जाती थी, अब महंगी संपत्तियों और लग्जरी ब्रांड्स का नया केंद्र बन गई है। यहां की जमीन की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई हैं। बॉलीवुड सितारे भी इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं, जैसे जॉन अब्राहम और सलमान खान। जानें इस क्षेत्र में हो रहे बदलाव और बढ़ते किराए के पीछे के कारण।
 

लिंकिंग रोड की नई पहचान

मुंबई की ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट (सांकेतिक तस्वीर)

लिंकिंग रोड, जो पहले सस्ते फैशन और भीड़भाड़ के लिए जानी जाती थी, अब मुंबई की सबसे महंगी जगहों में से एक बन गई है। यह लगभग चार किलोमीटर लंबी सड़क बांद्रा से सांताक्रूज तक फैली हुई है और इसे अब ‘मुंबई की ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट’ कहा जाने लगा है। यहां की जमीन की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि कई स्थानों पर यह 1 लाख रुपये प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई हैं।


लक्जरी ब्रांड्स का आगमन

लक्जरी ब्रांड्स की नई जंग

पहले जहां लिंकिंग रोड पर स्थानीय दुकानों का राज था, अब वहां गुची, लुई वितॉं और जारा जैसे अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स ने अपनी जगह बना ली है। यह क्षेत्र अब लग्जरी ब्रांड्स के लिए एक प्रमुख स्थान बन गया है। बड़े डेवलपर्स और निवेशक यहां मॉल, ऑफिस और हाई-एंड रेसिडेंशियल टावर बनाने की योजना बना रहे हैं।


बॉलीवुड सितारों का आकर्षण

बड़े सितारों का भी आकर्षण

लिंकिंग रोड की बढ़ती लोकप्रियता केवल आम निवेशकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बॉलीवुड के सितारों को भी आकर्षित कर रही है। दिसंबर 2024 में, जॉन अब्राहम ने यहां 75 करोड़ रुपये में एक बंगला खरीदा। सलमान खान के पास पहले से ही इस क्षेत्र में 120 करोड़ रुपये की चार मंजिला व्यावसायिक इमारत है। यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र न केवल खरीदारी का, बल्कि निवेश का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।


किराए में वृद्धि

डेवलपर्स की होड़ और बढ़ता किराया

लिंकिंग रोड पर रियल एस्टेट का विकास केवल खरीद पर ही नहीं रुका, बल्कि किराए में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यहां रिटेल किराया अब 800 रुपये प्रति वर्ग फुट से अधिक हो गया है, जो भारत में सबसे ऊंचे दरों में से एक है।


कीमतों में वृद्धि के कारण

क्यों बढ़ी कीमतें?

इस तेजी का मुख्य कारण ऊंचा फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) है। अब बिल्डरों को यहां 17-18 मंजिला इमारतें बनाने की अनुमति है, जिससे कम जमीन में बड़े प्रोजेक्ट खड़े किए जा सकते हैं।