भारतीय शेयर बाजार में तेजी: सेंसेक्स और निफ्टी में रिकॉर्ड उछाल
शेयर बाजार में तेजी का विश्लेषण
शेयर बाजार में तेजी
भारतीय शेयर बाजार ने पिछले बुधवार से एक सकारात्मक रुख अपनाया है, जिसमें बेंचमार्क सेंसेक्स में 1,500 से अधिक अंकों की वृद्धि हुई है और निफ्टी 50 ने 25,000 का आंकड़ा पार कर लिया है। सोमवार, 6 अक्टूबर को, सेंसेक्स ने लगातार तीसरे दिन 600 अंक या लगभग 1 प्रतिशत की बढ़त के साथ 81,846 के इंट्राडे उच्चतम स्तर को छू लिया, जबकि निफ्टी 50 ने भी लगभग 1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 25,095.95 का इंट्राडे उच्चतम स्तर प्राप्त किया। आइए जानते हैं कि वैश्विक तनाव के बीच भारतीय शेयर बाजार में यह तेजी क्यों देखी जा रही है।
सोमवार को सेंसेक्स 583 अंक या 0.72 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 81,790.12 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 183 अंक या 0.74 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 25,077.65 पर समाप्त हुआ। बीएसई मिडकैप सूचकांक में 0.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि स्मॉलकैप सूचकांक में 0.20 प्रतिशत की गिरावट आई।
बाजार में तेजी के कारण
- शॉर्ट कवरिंग का प्रभाव- विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में घरेलू शेयर बाजार में सुधार देखा गया है, जिससे क्वालिटी स्टॉक्स में शॉर्ट कवरिंग हो रही है। इससे बेंचमार्क इंडेक्स ऊंचे स्तर पर पहुंच रहे हैं। हाल के दिनों में एच-1बी वीजा फीस में वृद्धि और अन्य क्षेत्रीय समस्याओं के कारण आईटी सेक्टर के शेयरों में गिरावट आई थी, लेकिन सोमवार को इनमें अच्छी तेजी देखी गई। निफ्टी आईटी इंडेक्स ने लगातार तीसरे दिन 2% से अधिक की वृद्धि की।
- बैंकिंग शेयरों का योगदान- बैंकिंग शेयरों में तेजी ने भी बाजार को मजबूती प्रदान की है। आईटी और बैंकिंग शेयरों का निफ्टी इंडेक्स में लगभग 50% वेटेज है। निफ्टी बैंक इंडेक्स पिछले चार सत्रों से लगातार बढ़ रहा है, जिसमें कुल 3% से अधिक की वृद्धि हुई है। आरबीआई की नीतिगत दरों में कोई बदलाव न होने और नरम रुख के कारण बैंकिंग कंपनियों पर मार्जिन का दबाव कम हुआ है।
- आरबीआई की नीतियों से मिली राहत- आरबीआई की मौद्रिक नीति ने बाजार को राहत प्रदान की है। अनुकूल ग्रोथ और कम इन्फ्लेशन के अनुमान, साथ ही आरबीआई गवर्नर के नरम रवैये ने बाजार का मूड बेहतर किया है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5% से बढ़ाकर 6.8% कर दिया है।
- वैल्यूएशन में सुधार, आगे की तेजी की उम्मीद- मोतीलाल ओसवाल के अनुसार, सरकार के कदमों से कॉर्पोरेट आय को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। घरेलू सुधार जारी रहने की उम्मीद है। यदि टैरिफ से जुड़ा कोई गतिरोध समाप्त होता है, तो यह बाजार के लिए बड़ा बाहरी ट्रिगर होगा।