भारतीय शेयर बाजार में गिरावट: विदेशी निवेशकों की निकासी का प्रभाव
भारतीय शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति
शेयर बाजार
भारतीय शेयर बाजार इस समय गंभीर दबाव में है। विदेशी निवेशक तेजी से अपने निवेश को वापस ले रहे हैं, जिससे बाजार में लगातार गिरावट आ रही है। इसके परिणामस्वरूप, कुछ महीनों में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। आज, सेंसेक्स 352.28 अंक गिरकर 85,056.42 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 26,042.30 पर पहुंच गया। BSE में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन पिछले सत्र के 475 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 474 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिससे निवेशकों को एक ही दिन में करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस स्थिति ने सभी निवेशकों को चिंतित कर दिया है। क्या यह गिरावट यहीं रुकेगी या आगे और गिरावट आएगी?
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने सबसे अधिक बिकवाली आईटी सेक्टर में की है। इसके अलावा एफएमसीजी, पावर, हेल्थकेयर, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर सर्विसेज जैसे क्षेत्रों में भी भारी दबाव देखा गया है। इन क्षेत्रों से लगभग दो लाख करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है, जो यह दर्शाता है कि विदेशी निवेशक बड़े पैमाने पर जोखिम कम कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की निकासी के कारण
क्यों भाग रहे हैं विदेशी निवेशक?
एक प्रमुख कारण यह है कि 2025 में भारतीय शेयर बाजार की रिटर्न अपेक्षाकृत कम रही है। इसके विपरीत, चीन, अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे बाजारों में निवेशकों को बेहतर लाभ मिला है। विदेशी निवेशक हमेशा उन बाजारों में जाते हैं जहां रिटर्न और स्थिरता होती है। इसके अलावा, डॉलर की मजबूती और अमेरिका में ब्याज दरों का स्तर भी निवेश के निर्णयों को प्रभावित करता है।
आईपीओ का बाजार पर प्रभाव
क्या आईपीओ ने भी बाजार को नुकसान पहुंचाया?
हां, इसका भी प्रभाव पड़ा है। विदेशी निवेशकों ने सेकेंडरी मार्केट से पैसे निकालकर आईपीओ में निवेश किया है। इसका मतलब है कि जो पैसा शेयर बाजार को सहारा दे सकता था, वह नए इश्यू में चला गया। हालांकि, घरेलू म्यूचुअल फंड्स में SIP के जरिए पैसा आ रहा है, लेकिन यह ज्यादातर बड़ी कंपनियों और आईपीओ तक ही सीमित है। इस कारण मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अधिक गिरावट देखने को मिली है।
भविष्य की संभावनाएं
क्या अब राहत की उम्मीद है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि स्थिति धीरे-धीरे सुधर सकती है। उनका कहना है कि यदि अमेरिका में ब्याज दरों में कमी आती है और डॉलर कमजोर होता है, तो उभरते बाजारों में फिर से विदेशी निवेश आ सकता है। इसके अलावा, भारतीय बाजार से आने वाले समय में औसत रिटर्न बेहतर दिख रहे हैं, जिससे निवेशकों का विश्वास लौट सकता है।
हालांकि, सभी विशेषज्ञ इतने आशावादी नहीं हैं। कुछ ब्रोकरेज हाउस का कहना है कि भारतीय शेयर अभी भी महंगे हैं और कमाई की गति धीमी है। ऐसे में विदेशी निवेशकों की वापसी में समय लग सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह
2026 के लिए क्या रणनीति रखें निवेशक?
आने वाला वर्ष कई मायनों में महत्वपूर्ण हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगला दौर वैल्यू के बजाय कमाई पर आधारित हो सकता है। बैंकिंग सेक्टर, विशेषकर सरकारी बैंक, बेहतर स्थिति में हैं। आईटी शेयरों में गिरावट के बाद चुनिंदा अवसर बन सकते हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेट, कैपिटल गुड्स और टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन हो सकता है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे घबराकर निर्णय न लें और गिरावट के दौरान धीरे-धीरे निवेश करें, लेकिन जोखिम को समझना आवश्यक है।