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भारत में रूसी तेल का आयात घटा: सरकारी कंपनियों की नई रणनीति

भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने सितंबर में रूसी कच्चे तेल का आयात कम कर दिया है, जबकि प्राइवेट कंपनियों ने इसकी खरीद बढ़ाई है। यह बदलाव अमेरिकी दबाव और छूट में कमी के चलते हुआ है। जानें कि कैसे यह विभाजन भारत के तेल बाजार को प्रभावित कर रहा है और इसके पीछे के कारण क्या हैं।
 

रूसी तेल का आयात कम करने का निर्णय

सितंबर में सरकारी तेल कंपनियों ने रूसी कच्‍चे तेल का इंपोर्ट कम किया है.

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने यह दावा किया कि यदि भारत और चीन जैसे बड़े देश रूसी तेल का आयात बंद कर दें, तो यह युद्ध जल्दी समाप्त हो सकता है। इस दबाव को बढ़ाने के लिए अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया। अब यह प्रतीत होता है कि यह दबाव असर दिखा रहा है।

अमेरिकी टैरिफ लागू होने के एक महीने बाद जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। सरकारी कंपनियों ने रूसी कच्चे तेल की खरीद में काफी कमी की है, जबकि निजी कंपनियों ने इसकी खरीद बढ़ाई है। यह दर्शाता है कि भारत का तेल क्षेत्र इस मामले में विभाजित है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी कंपनियों द्वारा रूसी तेल का आयात कम करना एक सतर्कता का संकेत है। आइए जानते हैं कि भारत में रूसी तेल के संबंध में क्या आंकड़े सामने आए हैं।


भारत का तेल बाजार: एक विभाजन

बंटा हुआ दिखाई दिया ऑयल मार्केट

भारत का तेल बाजार स्पष्ट रूप से विभाजित है। अमेरिकी दबाव और छूट में कमी के चलते सरकारी रिफाइनर रूसी कच्चे तेल से दूरी बना रहे हैं, जबकि निजी रिफाइनर इसकी खरीद बढ़ा रहे हैं। सरकारी रिफाइनरों ने सितंबर में रूस से कच्चे तेल की खरीद में कमी की, जो सतर्कता का संकेत है। केप्लर की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में सरकारी कंपनियों का रूसी तेल आयात औसतन 605,000 बैरल प्रति दिन रहा, जो अप्रैल से अगस्त के औसत से 32% कम है। वहीं, निजी रिफाइनर्स ने सितंबर में 979,000 बैरल प्रति दिन तेल खरीदा, जो पिछले महीनों की तुलना में अधिक है।


सरकारी कंपनियों का रूसी तेल आयात कम करने के कारण

क्यों कम हुई रूसी तेल का सरकारी इंपोर्ट?

सितंबर में सरकारी कंपनियों द्वारा आयातित पांच बैरल में से केवल एक बैरल रूसी कच्चे तेल का था। उद्योग के अधिकारियों ने कई कारण बताए हैं, जैसे अमेरिकी दबाव, बढ़ते जोखिम, छूट में कमी, और सप्लाई में विविधता लाने की आवश्यकता। सरकारी कंपनियां घरेलू बाजार की जिम्मेदारी को प्राथमिकता देती हैं, जबकि प्राइवेट कंपनियां मुनाफे के लिए घरेलू और निर्यात बिक्री के बीच संतुलन बनाती हैं।


रूसी तेल की स्थिति

अभी भी केंद्र में है रूसी तेल

रिलायंस इंडस्ट्रीज को रोसनेफ्ट के साथ एक डील से लाभ हो रहा है, जो स्पॉट मार्केट की तुलना में अधिक छूट प्रदान करता है। यह डील रूसी कच्चे तेल की न्यूनतम मासिक मात्रा की अनिवार्य खरीद भी सुनिश्चित करती है। हालांकि, सरकारी खरीद में गिरावट के कारण कुल रूसी आयात अगस्त की तुलना में 6% कम हो गया है।