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भारत में तेल-तिलहन के दामों में गिरावट का कारण क्या है?

हाल के दिनों में भारत में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई है, जबकि विदेशी बाजारों में मजबूती देखी गई है। त्योहारों के मौसम में भी मांग में कमी के कारण सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तेल के दामों में गिरावट आई है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और इम्पोर्ट ड्यूटी में वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ा।
 

तेल के दामों में गिरावट


तेल के दाम


हाल ही में, विदेशी बाजारों में, विशेषकर मलेशिया एक्सचेंज में, तेल की कीमतों में वृद्धि देखी गई। हालांकि, भारत में त्योहारों के मौसम के बावजूद, तेल-तिलहन बाजार में नकारात्मक व्यापार भावना के कारण मांग में कमी आई। इस वजह से सभी प्रकार के तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल, कच्चा पाम ऑयल (CPO), पामोलीन और बिनौला तेल के दाम नुकसान के साथ बंद हुए।


सूत्रों के अनुसार, मलेशिया एक्सचेंज में लगातार मजबूती देखी गई, जहां सट्टेबाजी के कारण पाम और पामोलीन के दाम ऊंचे हो गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि पामोलीन तेल की कीमतें सोयाबीन से भी अधिक हो गई हैं, जबकि सर्दियों में पाम-पामोलीन की मांग में कमी आती है क्योंकि ये ठंड में जम जाते हैं। इस कम मांग के कारण पाम-पामोलीन के दाम में गिरावट आई।


डिमांड में कमी के कारण

सूत्रों ने बताया कि सरसों तेल की कीमतें आयातित खाद्य तेलों की तुलना में अधिक हैं, जिससे इसकी मांग में कमी आई है। त्योहारों के दौरान उपभोक्ता आमतौर पर रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं, जिससे सरसों की मांग में कमी आई है। इस बार सरसों की कीमतें अधिक होने के कारण मांग में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है। दीवाली के आसपास सरसों की बुवाई भी शुरू होने वाली है, जिससे सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई है।


स्टॉकिस्ट्स द्वारा सरसों की बिक्री से बाजार का मूड खराब हुआ और सभी तेल-तिलहन के दाम दबाव में आ गए। पिछले हफ्ते लगभग सभी खाद्य तेलों, विशेषकर सरसों तेल के थोक दाम पिछले दो महीनों में 20-22 रुपये प्रति किलो गिर गए हैं। हालांकि, रिटेल दाम पर इस गिरावट का कोई असर नहीं दिख रहा है, जो चिंता का विषय है।


इम्पोर्ट ड्यूटी में वृद्धि

हाल ही में, सरकार ने खाद्य तेलों के इम्पोर्ट ड्यूटी वैल्यू में वृद्धि की है, जिसमें CPO की ड्यूटी वैल्यू में 41 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन में 107 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन डीगम तेल में 21 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही, आने वाली रबी फसलों के तिलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में भी वृद्धि की गई है।


अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी के कारण आयात महंगा हो गया है। कमजोर निर्यात मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन में भी गिरावट देखी गई है। बाजार की नकारात्मक भावना के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम भी गिरे हैं। खाद्य तेलों में सोयाबीन तेल सबसे सस्ता है।


मूंगफली के दामों में गिरावट

मूंगफली तिलहन की कीमत 75 रुपये की गिरावट के साथ 5,300-5,675 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुई। मूंगफली तेल का गुजरात का थोक दाम 100 रुपये की गिरावट के साथ 12,900 रुपये प्रति क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 25 रुपये की गिरावट के साथ 2,120-2,420 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।


पिछले हफ्ते CPO तेल 25 रुपये की गिरावट के साथ 11,725 रुपये प्रति क्विंटल, पामोलीन दिल्ली 150 रुपये की गिरावट के साथ 13,350 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन एक्स कांडला तेल 100 रुपये की गिरावट के साथ 12,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बाजार की भावना के अनुसार बिनौला तेल 150 रुपये की गिरावट के साथ 12,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।