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भारत का रूसी तेल आयात: अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद बढ़ती खरीदारी

भारत का रूसी तेल आयात दिसंबर में 10 लाख बैरल प्रति दिन से अधिक होने की संभावना है, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद बढ़ रहा है। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं। व्यापार सूत्रों के अनुसार, भारत ने नवंबर में 17 लाख बैरल प्रति दिन का आयात किया, और अब जनवरी में भी खरीदारी जारी रखने की योजना बना रहा है। जानें इस व्यापार के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारत और रूस के बीच मजबूत संबंध

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका उद्देश्य रूसी तेल की आपूर्ति को सीमित करना था। हालांकि, इस बैन का भारत और रूस के बीच संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है। सूत्रों के अनुसार, भारत का रूसी तेल आयात दिसंबर में 10 लाख बैरल प्रति दिन से अधिक होने की संभावना है, जो कि गिरावट की उम्मीदों के विपरीत है। रिफाइनर्स ने उन कंपनियों से तेल खरीदना शुरू कर दिया है, जिन पर अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई असर नहीं है। हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग को जारी रखने का आश्वासन दिया गया।


इंपोर्ट की संभावनाएं

व्यापार सूत्रों के अनुसार, भारत, जो कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है, ने नवंबर में 17 लाख बैरल प्रति दिन रूसी तेल का आयात किया, जो अक्टूबर की तुलना में 3.4 प्रतिशत अधिक था। अमेरिका द्वारा रूस की प्रमुख तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के बाद, इंपोर्ट में गिरावट की आशंका थी। लेकिन अब, एलएसईजी के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में इंपोर्ट 12 लाख बैरल प्रति दिन से अधिक होने की संभावना है, जो महीने के अंत तक औसतन 15 लाख बैरल प्रति दिन तक बढ़ सकता है।


खरीदारी में वृद्धि

वाशिंगटन द्वारा रोसनेफ्ट और लुकोइल के साथ लेनदेन के लिए निर्धारित समय सीमा से पहले खरीदारों की होड़ के कारण भारत का दिसंबर में रूस से इंपोर्ट बढ़ा है। हाल ही में कई कार्गो भारतीय बंदरगाहों पर पहुंचे हैं। व्यापार सूत्रों के अनुसार, जनवरी में इंपोर्ट दिसंबर के स्तर के आसपास रह सकता है। हालांकि, रिफाइनिंग सूत्रों का अनुमान है कि जनवरी में मात्रा 10 लाख बैरल प्रति दिन से कम होगी क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने खरीद रोक दी है।


सरकारी कंपनियों की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, प्रमुख रिफाइनर्स जैसे इंडियन ऑयल कॉर्प ने बैन से पहले के स्तर के अनुरूप रूसी तेल की खरीदारी की है। भारत पेट्रोलियम ने जनवरी में अपनी खरीदारी को बढ़ाकर कम से कम छह कार्गो कर दिया है। वहीं, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जनवरी की लोडिंग के लिए बातचीत कर रही है। प्राइवेट रिफाइनर नायरा एनर्जी, जिसमें रोसनेफ्ट का बहुमत स्वामित्व है, केवल रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए है।


भारत का प्रमुख खरीदार बनना

यूक्रेन युद्ध के बाद, पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, जिसके चलते भारत समुद्री मार्ग से कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया। हालांकि, यह खरीदारी अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में बाधा बन गई है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ा दिया है। उद्योग सूत्रों के अनुसार, रूसी उत्पादक घरेलू बाजार में अदला-बदली का उपयोग कर रहे हैं।


रूसी कंपनियों का उत्पादन बढ़ाना

मूडीज़ की सहयोगी कंपनी ICRA के उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ ने कहा कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध नहीं हैं, वे अपना उत्पादन बढ़ा सकती हैं और सप्लाई को निर्यात बाजारों में स्थानांतरित कर सकती हैं। भारतीय रिफाइनर्स को जनवरी की कीमतें आकर्षक लग रही हैं, जो ब्रेंट क्रूड ऑयल की तुलना में लगभग 6 डॉलर प्रति बैरल कम हैं।