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पेंशन योजना में वेतन सीमा पर पुनर्विचार की आवश्यकता: एम नागराजू

फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट के सचिव एम नागराजू ने पेंशन योजना में 15,000 रुपए की वेतन सीमा पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि कई लोग, विशेषकर निजी क्षेत्र में कार्यरत, इस सीमा से अधिक कमाते हैं लेकिन उनके पास कोई पेंशन कवर नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने अटल पेंशन योजना के लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि और जेन जेड के लिए वित्तीय चुनौतियों पर भी चर्चा की। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर उनके विचार और सरकार के प्रयास।
 

सामाजिक सुरक्षा के लिए पेंशन पर विचार

फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट के सचिव एम नागराजू ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 15,000 रुपए प्रति माह की वेतन सीमा पर पुनर्विचार करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि यह चिंता का विषय है कि कई लोग, विशेषकर निजी क्षेत्र में कार्यरत, जो इस सीमा से अधिक कमाते हैं, उनके पास कोई पेंशन योजना नहीं है और वे वृद्धावस्था में अपने बच्चों पर निर्भर हो जाते हैं।


नागराजू ने स्पष्ट किया कि 15,000 रुपए प्रति माह से कम कमाने वालों के लिए ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, जबकि इससे अधिक कमाने वालों के लिए यह वैकल्पिक है। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि जो लोग थोड़ी अधिक कमाई करते हैं, उनका भविष्य सुरक्षित हो और वे बुढ़ापे में अपने बच्चों पर निर्भर न हों।


एपीवाई लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि

सीआईआई वित्त पोषण शिखर सम्मेलन में नागराजू ने इसे एक विसंगति बताया, जो सरकार के लक्ष्य से भिन्न है कि अधिकतम लोगों को पेंशन योजनाओं में शामिल किया जाए। उन्होंने बताया कि अटल पेंशन योजना के लाभार्थियों की संख्या 8.3 करोड़ तक पहुंच गई है, जिनमें से 48 प्रतिशत महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के लोगों को सामाजिक सुरक्षा उपायों में लाने के लिए सरकार के प्रयास जारी रहेंगे।


जेन जी के लिए वित्तीय चुनौतियाँ

कार्यक्रम में बीमा नियामक इरडा के सदस्य (जीवन बीमा) स्वामीनाथन एस अय्यर ने कहा कि बढ़ती उपभोक्ता मांग के बीच यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है कि 30 साल बाद युवा पीढ़ी के पास पर्याप्त धन हो। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे कि जब जेन जेड सेवानिवृत्त होंगे, तो उनके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हों।


अय्यर ने यह भी बताया कि दो-तिहाई से अधिक भारतीयों के पास जीवन बीमा नहीं है। उन्होंने कहा कि 25 साल पहले बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने का उद्देश्य इसे और अधिक समृद्ध बनाना था, लेकिन अफसोस की बात है कि 85 प्रतिशत से अधिक बीमा कारोबार शहरी क्षेत्रों से आता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में कवरेज की कमी है।