दिवालिया कानून में प्रस्तावित बदलाव: ब्लड रिलेशन पर नए नियम
दिवालिया कानून में संभावित परिवर्तन
दिवालिया कानून
भारत के Insolvency and Bankruptcy Code (IBC) में इस शीतकालीन सत्र में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना है। 2016 में लागू होने के बाद से IBC में कई सुधार किए गए हैं, लेकिन IBC Amendment Bill 2025 को अब तक का सबसे महत्वपूर्ण संशोधन माना जा रहा है। उद्योग और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह परिवर्तन ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बेहतर बनाने में सहायक हो सकता है, विशेषकर सेक्शन 29A से जुड़े प्रावधानों के कारण।
सेक्शन 29A का महत्व और विवाद
IBC का सेक्शन 29A यह निर्धारित करता है कि कौन व्यक्ति या संस्था दिवालिया कंपनी की बोली प्रक्रिया में भाग ले सकती है। इस नियम के अनुसार, कंपनी के प्रमोटर और उनके रक्त संबंधियों को बोली लगाने से रोका गया है, ताकि वे कंपनी पर फिर से नियंत्रण न पा सकें। हालांकि, उद्योग का कहना है कि यह नियम अत्यधिक व्यापक है। कई बार ऐसे रिश्तेदार भी इस नियम में फंस जाते हैं जिनका कंपनी से कोई सीधा संबंध नहीं होता।
उद्योग की राय: रिश्तेदारी नहीं, बिज़नेस लिंक महत्वपूर्ण
कई उद्योग संगठनों और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्शन 29A में सुधार की आवश्यकता है। मदान लॉ ऑफिसेज़ के जी.पी. मदान का कहना है कि IBC में रिलेटेड पार्टी की परिभाषा बहुत व्यापक है। केवल पारिवारिक रिश्ते के आधार पर किसी को बोली प्रक्रिया से बाहर रखना उचित नहीं है। असली जांच यह होनी चाहिए कि क्या उनका कंपनी से कोई वित्तीय संबंध है।
संसदीय सेलेक्ट कमेटी के सामने सुझाव
IBC संशोधन बिल को बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय सेलेक्ट कमेटी देख रही है। स्टेकहोल्डर्स ने सुझाव दिया है कि ब्लड रिलेशन की परिभाषा को बदला जाए और रिलेटेड पार्टी का अर्थ केवल बिज़नेस संबंधों तक सीमित किया जाए। बोली तभी रोकी जाए जब बिडर के फंड में प्रमोटर का सीधा लिंक हो।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
एक पुराने निर्णय में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि रिलेटेड पार्टी की पहचान बिज़नेस रिश्ते से होगी, न कि केवल पारिवारिक संबंध से। यदि सरकार सेक्शन 29A में बदलाव करती है, तो यह निर्णय न्यायिक दृष्टि से भी मजबूत होगा।
संशोधन के प्रभाव
यदि संशोधन पारित होता है, तो कई बड़ी कंपनियों के रिश्तेदार भी IBC मामलों में बोली लगा सकेंगे। इससे बिडर्स की संख्या बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी, और Resolution Process अधिक प्रभावी होगा। इसके अलावा, Ease of Doing Business को भी बढ़ावा मिलेगा।
IBC में अब तक के संशोधन
2016 से अब तक IBC में छह बार संशोधन किया जा चुका है। हर बदलाव का उद्देश्य दिवालिया प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज बनाना रहा है। लेकिन सेक्शन 29A का ब्लड रिलेशन वाला हिस्सा अब नए बिज़नेस माहौल के अनुसार पुराना माना जा रहा है।