डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से IT सेक्टर में 13,000 करोड़ का नुकसान
ट्रंप का वीजा शुल्क बढ़ाने का निर्णय
डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा शुल्क में भारी वृद्धि का आदेश भारत की प्रमुख IT कंपनियों और उनके निवेशकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, म्यूचुअल फंडों में शामिल भारत की शीर्ष 10 IT कंपनियों के शेयरों का बाजार मूल्य लगभग 13,000 करोड़ रुपये घट गया। इस गिरावट ने न केवल शेयर बाजार को प्रभावित किया, बल्कि IT क्षेत्र की स्थिरता पर भी सवाल उठाए हैं।
H-1B वीजा में बदलाव का प्रभाव
H-1B वीजा शुल्क में वृद्धि
ट्रंप के आदेश के अनुसार, H-1B वीजा आवेदन शुल्क को 1,000 डॉलर से बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया गया है, जो कि 100 गुना वृद्धि है। हालांकि, वीजा प्राप्त करने की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इस वृद्धि से कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी। इससे न केवल लाभप्रदता पर प्रभाव पड़ेगा, बल्कि नई भर्ती रणनीतियों में भी बदलाव आ सकता है।
म्यूचुअल फंड्स को नुकसान
म्यूचुअल फंड्स में गिरावट
19 सितंबर तक, म्यूचुअल फंडों के पास शीर्ष 10 IT कंपनियों के कुल 3.41 लाख करोड़ रुपये के शेयर थे, जो 22 सितंबर तक घटकर 3.28 लाख करोड़ रुपये रह गए। इस प्रकार, 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस गिरावट में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इंफोसिस की है, इसके बाद TCS, फणथ टेक, कोफोर्ज, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स और अन्य प्रमुख कंपनियों के शेयर भी प्रभावित हुए हैं।
नुकसान की सीमित स्थिति
नुकसान की सीमित स्थिति
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, ब्रोकर फर्म जेएम फाइनेंशियल ने कहा है कि यह कदम वर्तमान में लाभ पर अधिक प्रभाव नहीं डालेगा, लेकिन स्थानीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि से कंपनियों के मार्जिन पर 0.15% से 0.50% तक दबाव आ सकता है। हालांकि, यदि कंपनियां ऑफशोरिंग बढ़ाती हैं और कीमतों पर नए सिरे से बातचीत करती हैं, तो इस दबाव को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, शीर्ष IT कंपनियों के कर्मचारियों में केवल 1.2% से 4.1% तक ही H-1B वीजा पर काम करते हैं, इसलिए इस बदलाव का प्रभाव पूरे क्षेत्र पर अधिक नहीं होगा।
आगे की संभावनाएं
इस निर्णय से IT क्षेत्र में खर्च बढ़ने और कुछ बदलावों की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, वर्तमान में नुकसान सीमित है, लेकिन भविष्य में कंपनियों को अपने व्यापार मॉडल में बदलाव करने की आवश्यकता हो सकती है। निवेशकों को इस समय सतर्क रहना आवश्यक है, क्योंकि ट्रंप के इस निर्णय ने शेयर बाजार और IT क्षेत्र की मजबूती पर सवाल खड़ा कर दिया है।