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टाटा कैपिटल आईपीओ: निवेशकों के लिए संभावनाएं और ब्रोकरेज की राय

टाटा कैपिटल का आईपीओ हाल ही में शेयर बाजार में लिस्ट हुआ है, जिससे निवेशकों को लाभ मिला है। ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि शेयर में 9% की वृद्धि संभव है। जानें इस आईपीओ के बारे में और क्या सलाह दी जा रही है निवेशकों को।
 

टाटा कैपिटल का आईपीओ लिस्टिंग

टाटा कैपिटल आईपीओ

टाटा कैपिटल, जो कि एक प्रमुख वित्तीय सेवा प्रदाता है, ने आज अपने आईपीओ को शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया। इस लिस्टिंग के साथ, निवेशकों को लाभ प्राप्त हुआ है। आंकड़ों के अनुसार, 14,996 रुपये के निवेश पर 1.2 प्रतिशत का लाभ हुआ है। हालांकि, आईपीओ ने 330 रुपये पर लिस्टिंग की है, लेकिन ब्रोकरेज फर्मों का मानना है कि इसमें 9 प्रतिशत की वृद्धि संभव है, और जेएम फाइनेंशियल का अनुमान है कि शेयर 360 रुपये तक पहुंच सकता है।

टाटा ग्रुप ने अपने आईपीओ के माध्यम से 15,512 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था, जिसमें 6,846 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी किए गए और मौजूदा प्रवर्तकों ने 8,666 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। टाटा संस और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (आईएफसी) ने 26.58 करोड़ इक्विटी शेयर बिक्री के लिए पेश किए। इस आईपीओ को 6 से 8 अक्टूबर तक ओपन रखा गया था, और इसकी लोकप्रियता के कारण इसे 2 गुना से अधिक सब्सक्रिप्शन प्राप्त हुआ।


ब्रोकरेज की भविष्यवाणी

मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, JM Financial का कहना है कि टाटा कैपिटल के पास 25 से अधिक लोन उत्पादों का एक बड़ा पोर्टफोलियो है, जो तीन मुख्य व्यवसायों में विभाजित है: 61% रिटेल फाइनेंस, 26% SME और 13% कॉरपोरेट लोन। TCL की AAA स्थिर क्रेडिट रेटिंग के कारण इसे सस्ती ब्याज दरों पर फंडिंग मिलती है। हालांकि, बैंकों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सुरक्षित लोन की अधिक हिस्सेदारी के कारण इसका नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) 5-5.5% है, जो थोड़ा कम है। फिर भी, कम क्रेडिट लागत के कारण इसका रिटर्न ऑन एसेट्स 2.1-2.5% रहा है। JM Financial को उम्मीद है कि FY25-27 में TCL का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 20% CAGR से बढ़ेगा, और ऑपरेटिंग खर्चे स्थिर रहेंगे।


खरीदें या बेचें?

मास्टर कैपिटल सर्विसेज का कहना है कि टाटा कैपिटल भारत की तीसरी सबसे बड़ी NBFC है, जिसने 2007 से 73 लाख ग्राहकों को लोन दिए हैं। इसके 25 से अधिक लोन उत्पादों और रिटेल, कॉरपोरेट, हाउसिंग फाइनेंस में मजबूत उपस्थिति इसे भारत के वित्तीय क्षेत्र में लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए एक अच्छा विकल्प बनाती है। सलाह दी जाती है कि आईपीओ में शेयर प्राप्त करने वाले इसे लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड करें। जिनको आईपीओ में शेयर नहीं मिले, वे शेयर की कीमत में थोड़ी गिरावट आने पर खरीदने पर विचार कर सकते हैं।