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जम्मू-कश्मीर में 466 करोड़ का लावारिस धन: आरबीआई की नई पहल

जम्मू-कश्मीर में 17 लाख से अधिक लावारिस बैंक खाते पाए गए हैं, जिनमें लगभग 466 करोड़ रुपये की राशि जमा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे इन खातों के वास्तविक मालिकों से संपर्क करें। आरबीआई ने एक नई योजना भी शुरू की है, जिसके तहत निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने और दावा न की गई जमा राशि का निपटान किया जाएगा। जानें इस रिपोर्ट के पीछे की पूरी कहानी और आरबीआई की पहल के बारे में।
 

जम्मू-कश्मीर में लावारिस खातों की संख्या

जम्‍मू कश्‍मीर में 17 लाख से ज्‍यादा लावारिस अकाउंट है.

हाल ही में जम्मू-कश्मीर में एक गंभीर घटना के साथ-साथ एक और महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। जम्मू-कश्मीर के बैंकों में 17 लाख से अधिक लावारिस खाते पाए गए हैं, जिनका कोई मालिक नहीं है। इन खातों में कुल 466 करोड़ रुपये की राशि जमा है। इस रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे इन लावारिस खातों के वास्तविक मालिकों से संपर्क करें।

466 करोड़ रुपये का लावारिस धन

जम्मू-कश्मीर में 465.79 करोड़ रुपये की राशि वाले 17.20 लाख से अधिक लावारिस खाते सामने आए हैं। आरबीआई ने बैंकों को इन जमाराशियों के वास्तविक दावेदारों से समय पर संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया है। आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक चंद्रशेखर आज़ाद ने बताया कि जम्मू जिले में अकेले 107.27 करोड़ रुपये के 2,94,676 लावारिस खाते हैं। कुल मिलाकर, केंद्र शासित प्रदेश में 465.79 करोड़ रुपये की बकाया राशि वाले 17,20,878 लावारिस खाते हैं। बैंकों से अनुरोध किया गया है कि वे इन खातों के जमाकर्ताओं का पता लगाएं और समय पर निपटान सुनिश्चित करें।

आरबीआई की नई योजना

आरबीआई ने “त्वरित संपत्ति भुगतान की सुविधा के लिए योजना – निष्क्रिय खाते और दावा न की गई जमा” नामक एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, 1 अक्टूबर से 30 सितंबर, 2026 तक निष्क्रिय खातों को पुनः सक्रिय करने और दावा न की गई जमा राशि का निपटान करने के लिए बैंकों को ऐसे खातों में शेष राशि का 7.5 फीसदी या 25,000 रुपये, जो भी कम हो, का अंतर भुगतान किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय बैंकर्स समिति (यूटीएलबीसी) ने विभिन्न बैंकों, बीमा कंपनियों, पेंशन फंडों, म्यूचुअल फंडों और लाभांशों में पड़ी दावा न की गई वित्तीय संपत्तियों की पहचान, सत्यापन और वितरण के लिए जम्मू और श्रीनगर में बड़े निपटान-सह-जागरूकता शिविरों का आयोजन किया।