चीन का रेयर अर्थ मेटल्स का निर्यात: भारत के लिए नई संभावनाएं
रेयर अर्थ मेटल्स का नया कदम
रेयर अर्थ मेटल्स
रेयर अर्थ्स: चीन ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिससे रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात में बदलाव आएगा। शुक्रवार को, चीन ने घोषणा की कि वह आम उपयोग के लिए इन मेटल्स के निर्यात को अनुमति देगा। यह भारत सहित कई देशों के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो चीन की निर्यात नीतियों से प्रभावित थे।
सिर्फ आम उपयोग के लिए निर्यात की अनुमति
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने स्पष्ट किया है कि यह छूट बिना शर्त नहीं है। चीन का कहना है कि इसका निर्यात नियंत्रण प्रणाली किसी विशेष देश को लक्षित नहीं करती, बल्कि यह कानून के अनुसार कार्य करती है। यदि रेयर अर्थ का उपयोग सामान्य कार्यों के लिए किया जाता है और निर्यातक सभी नियमों का पालन करते हैं, तो सरकार समय पर अनुमति देगी।
हालांकि, एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि यदि इन मेटल्स का उपयोग रक्षा उत्पादों में किया गया, तो निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी। दरअसल, मध्यम और भारी रेयर अर्थ्स 'डुअल यूज' श्रेणी में आते हैं, जिसका उपयोग सैन्य और नागरिक दोनों कार्यों में किया जा सकता है। चीन इस क्षेत्र में अपनी पकड़ को ढीला करने के मूड में नहीं है।
भारत के इलेक्ट्रिक वाहनों को मिलेगी गति
भारत के लिए यह निर्णय एक महत्वपूर्ण अवसर है। देश का ऑटोमोबाइल उद्योग, विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र, इन मेटल्स की आपूर्ति के लिए संघर्ष कर रहा था। भारत ने इस मुद्दे को कई मंचों पर उठाया है, और हाल ही में 12 दिसंबर को विदेश मंत्रालय स्तर की बातचीत में इसे जोरदार तरीके से प्रस्तुत किया गया था।
भारत ने स्पष्ट किया था कि निर्यात नियंत्रण से संबंधित मुद्दों का समाधान जल्द होना चाहिए। चीन की इस नरमी से भारतीय उद्योग को तात्कालिक राहत मिलेगी, लेकिन रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में निर्भरता की चुनौती अभी भी बनी हुई है। इसके अलावा, भारत ने रेयर अर्थ के साथ-साथ भारी बोरिंग मशीनों के निर्यात की भी मांग की है।
चीन का वैश्विक नियंत्रण
दुनिया में रेयर अर्थ की खनन का लगभग 70 प्रतिशत और प्रोसेसिंग का 90 प्रतिशत हिस्सा चीन के पास है। अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत जैसे बड़े देश अपनी आवश्यकताओं के लिए चीन पर निर्भर हैं। अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के दौरान, चीन ने इन मेटल्स पर कड़े निर्यात नियंत्रण लगाए थे, जिन्हें अब ढीला किया जा रहा है। हाल ही में अमेरिका के साथ सेमीकंडक्टर चिप्स से संबंधित समझौते के बाद, चीन के रुख में यह नरमी देखी गई है।
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