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गुंजा: एक अद्भुत औषधि के गुण और उपयोग

गुंजा, जिसे चिरमी के नाम से भी जाना जाता है, एक छोटे आकार का फल बीज है जिसमें कई औषधीय गुण होते हैं। प्राचीन समय में इसका उपयोग सोने के वजन को तौलने में किया जाता था। यह बुखार, वात-पित्त, और कुष्ठ रोगों के उपचार में सहायक है। आयुर्वेदिक चिकित्सक इसके लाभों के बारे में बताते हैं, जैसे कि डायबिटीज को नियंत्रित करना और आंखों की समस्याओं का समाधान। जानें गुंजा के और भी अद्भुत गुण और इसके उपयोग के तरीके।
 

गुंजा के औषधीय गुण


जयपुर:- हमारे चारों ओर कई ऐसे पौधे हैं जिनमें औषधीय गुण होते हैं, लेकिन जानकारी की कमी के कारण लोग इनके महत्व को नहीं समझ पाते। बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियां इन पौधों से दवाइयां बनाती हैं, जो बीमारियों के उपचार में सहायक होती हैं। गुंजा, जिसे चिरमी भी कहा जाता है, एक ऐसी औषधि है जिसमें कई चमत्कारी गुण मौजूद हैं। यह छोटे आकार का फल बीज सफेद, लाल और काले रंग में पाया जाता है और इसे तंत्र-मंत्र में भी उपयोग किया जाता है।


प्राचीन काल में गुंजा का उपयोग
प्राचीन समय में सुनार गुंजा का उपयोग सोने के वजन को तौलने के लिए करते थे, क्योंकि सभी गुंजा बीज का वजन समान होता था। इसके अलावा, गुंजा का उपयोग बुरी नजर से बचाने और बुखार, वात-पित्त जैसी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता है। गुंजा का नियमित सेवन कुष्ठ रोग के उपचार में भी सहायक होता है।


गुंजा के औषधीय गुण
आयुर्वेदिक चिकित्सक पिंटू ने बताया कि लाल गुंजा में औषधीय गुण होते हैं जो डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यह पेशाब की समस्याओं में भी लाभकारी है। गुंजा के बीज कुष्ठ रोगों के इलाज में उपयोग होते हैं। गुंजा की जड़ को पानी में घिसकर आंखों में डालने से रतौंधी जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसके अलावा, गुंजा का उपयोग बुखार के उपचार में भी किया जाता है।


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FIRST PUBLISHED : December 25, 2024, 12:02 IST