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एलपीजी गैस की कीमतों में बदलाव: 25 वर्षों का सफर और सरकारी योजनाओं का प्रभाव

एलपीजी गैस की कीमतों में पिछले 25 वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे सरकारी योजनाओं ने इस बदलाव को प्रभावित किया है। उज्ज्वला योजना और DBT जैसी पहलों ने गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत प्रदान की है। जानें कि कैसे ये योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के जीवन को बेहतर बना रही हैं और एलपीजी गैस की कीमतों में वृद्धि का क्या असर पड़ा है।
 

एलपीजी गैस का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश

एलपीजी गैस, जो पहले केवल शहरी क्षेत्रों में ही उपलब्ध थी, अब गांवों में भी आम हो गई है। मिट्टी के चूल्हों और लकड़ी के धुएं से मुक्ति पाकर, देश की लाखों महिलाएं अब एलपीजी सिलेंडर का उपयोग कर सुरक्षित और सुविधाजनक खाना बना रही हैं। यह बदलाव पिछले 25 वर्षों में सरकारी योजनाओं के साथ-साथ सामाजिक सोच में बदलाव का परिणाम है।


एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में वृद्धि

हालांकि, इस दौरान एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में लगातार वृद्धि देखी गई है। 25 साल पहले जो कीमत थी, वह आज कई गुना बढ़ चुकी है, जिससे आम उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। सरकार ने इस बढ़ती लागत को कम करने के लिए कई सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं। उज्ज्वला योजना और डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (DBT) जैसी सुविधाएं गरीब और मध्यम वर्ग के लिए राहत का माध्यम बनी हैं।


एलपीजी की कीमतों में वृद्धि का विश्लेषण

पिछले 25 वर्षों में एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में कितनी वृद्धि हुई है, यह जानना महत्वपूर्ण है। 1989 में 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की कीमत 57.60 रुपये थी, जो 2000 में बढ़कर 232.25 रुपये हो गई। 2001 से 2010 के बीच कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला, जबकि 2011 से 2025 के बीच में कीमतों में जबरदस्त वृद्धि हुई।


सरकारी सब्सिडी योजनाओं का प्रभाव

सरकार ने एलपीजी को सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2015 में 'गिव इट अप' अभियान शुरू हुआ, जिसमें लाखों लोगों ने स्वेच्छा से सब्सिडी छोड़ी। PAHAL-DBT योजना ने भी सब्सिडी को सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में ट्रांसफर करने में मदद की।


उज्ज्वला योजना का महत्व

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, जो 2016 में शुरू हुई, ने आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की महिलाओं को बिना डिपॉजिट के LPG कनेक्शन प्रदान किया। इस योजना ने साफ और सुरक्षित खाना पकाने के ईंधन को बढ़ावा दिया है।


उज्ज्वला योजना का कार्यान्वयन

उज्ज्वला योजना को तीन चरणों में लागू किया गया, जिसमें पहले चरण में 80 मिलियन कनेक्शन का लक्ष्य रखा गया था। इस योजना के तहत अब तक 10 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।


निष्कर्ष

सरकार की उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को गैस कनेक्शन प्रदान कर उनके जीवन में सुधार किया है। अब गांवों में गैस रिफिलिंग की सुविधा भी उपलब्ध है, जिससे महिलाएं आसानी से खाना बना सकती हैं।