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इलेक्ट्रिक कारों से हो रही है मोशन सिकनेस की समस्या

इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ती लोकप्रियता के साथ, यात्रियों में मोशन सिकनेस की समस्या भी उभर रही है। रिसर्च से पता चला है कि रेजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक इस समस्या का मुख्य कारण है। यात्रियों को चक्कर और उल्टी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संभावित खरीदारों में संकोच उत्पन्न हो रहा है। जानें इस समस्या के पीछे के कारण और इसके समाधान के बारे में।
 

इलेक्ट्रिक कारों का बढ़ता चलन और स्वास्थ्य पर प्रभाव

इलेक्ट्रिक कारों से मोशन सिकनेस: इलेक्ट्रिक कारों को आमतौर पर पर्यावरण के लिए लाभकारी और किफायती माना जाता है, लेकिन इनमें यात्रा करने वाले कई लोग चक्कर और उल्टी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि इसका कारण इन कारों की विशेष ब्रेकिंग तकनीक है।



इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में तेजी आ रही है। 2024 में, वैश्विक स्तर पर बेची गई नई कारों में 22 प्रतिशत इलेक्ट्रिक थीं। इन्हें पर्यावरण के अनुकूल, शांत और ईंधन बचाने वाले विकल्प के रूप में देखा जाता है। लेकिन अब एक नई समस्या उभर रही है। इलेक्ट्रिक कार चलाने वाले कई लोग 'मोशन सिकनेस' का अनुभव कर रहे हैं, जिसमें यात्रा के दौरान जी मचलाना, चक्कर आना या मतली शामिल है।


ब्रेकिंग तकनीक का प्रभाव:
फ्रांस के पीएचडी छात्र विलियम एडमंड के अनुसार, इलेक्ट्रिक कारों में रेजनरेटिव ब्रेकिंग तकनीक के कारण यात्रियों को यह समस्या हो रही है। हमारा मस्तिष्क शरीर की गतिविधियों का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करता है। जब ब्रेकिंग या गति उस पूर्वानुमान से मेल नहीं खाती, तो शरीर और मस्तिष्क के बीच असंतुलन उत्पन्न होता है, जिससे मोशन सिकनेस होती है।


रेजनरेटिव ब्रेकिंग की प्रक्रिया:
यह तकनीक कार के ब्रेकिंग सिस्टम को गति कम करने पर ऊर्जा उत्पन्न करने की अनुमति देती है। यह ऊर्जा बैटरी में पुनः संग्रहित होती है, जिससे रेंज बढ़ती है। हालांकि, यह प्रक्रिया पारंपरिक ब्रेकिंग से भिन्न होती है। कई इलेक्ट्रिक कारों में रेजनरेटिव ब्रेकिंग के दौरान हल्के झटके और असमान कंपन महसूस होते हैं, जो ड्राइवर और यात्रियों को असहज कर सकते हैं। यह तकनीक अधिकांश कारों में वैकल्पिक होती है और इसे बंद भी किया जा सकता है।


इलेक्ट्रिक कारों की विशेषताएँ:
इलेक्ट्रिक कारों की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इनमें इंजन की आवाज बहुत कम होती है। पारंपरिक पेट्रोल-डीजल कारों में इंजन की आवाज एक संकेत होती है, जिससे मस्तिष्क यात्रा के लिए तैयार होता है। इलेक्ट्रिक कारों में यह संकेत नहीं मिलता, जिससे असहजता बढ़ जाती है।


2024 की एक रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि ईवी की सीटों में आने वाला लो फ्रिक्वेंसी वाइब्रेशन इस समस्या को और बढ़ा देता है। यह समस्या इतनी सामान्य हो गई है कि डेनमार्क में पुलिस अधिकारियों ने जब ईवी कारों का परीक्षण किया, तो उन्हें भी चक्कर और उल्टी जैसा अनुभव हुआ।


सोशल मीडिया पर बढ़ती शिकायतें:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें यात्री इलेक्ट्रिक कारों में यात्रा करते समय जी मिचलाने और सिरदर्द की शिकायत कर रहे हैं। इससे कुछ संभावित खरीदारों में ईवी को लेकर संकोच भी देखने को मिल रहा है।