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इनकम टैक्स विभाग का नया नोटिस: टैक्सपेयर्स के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

इनकम टैक्स विभाग ने हाल ही में टैक्सपेयर्स को भेजे गए नोटिसों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि ये नोटिस केवल सलाह देने के लिए हैं, न कि दंड लगाने के लिए। यदि आपको भी ऐसे नोटिस मिले हैं, तो जानें कि आपको क्या करना चाहिए और अपनी रिटर्न को कैसे सुधारना है। अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 है।
 

इनकम टैक्स विभाग का बयान

इनकम टैक्स विभाग

हाल ही में, इनकम टैक्स विभाग ने टैक्सपेयर्स को भेजे गए नोटिस और ईमेल के संबंध में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। विभाग ने बताया कि ITR और वित्तीय लेन-देन में किसी भी प्रकार के अंतर के मामले में भेजे गए संदेशों का उद्देश्य न तो दंड लगाना है और न ही जांच शुरू करना, बल्कि यह केवल सलाह देने वाला है।

पिछले कुछ समय में, कई टैक्सपेयर्स ने शिकायत की थी कि उन्हें ऐसे ईमेल और एसएमएस प्राप्त हो रहे हैं जिनमें उनके PAN से जुड़े उच्च मूल्य के लेन-देन का उल्लेख था। ये लेन-देन या तो ITR में नहीं दिखाए गए थे या फिर घोषित आय की तुलना में काफी अधिक थे।

नोटिस प्राप्त करने वाले टैक्सपेयर्स

विभाग ने स्पष्ट किया कि भेजे गए नोटिस में दी गई जानकारी पूरी तरह से उन डेटा पर आधारित है जो पहले से विभाग के पास मौजूद है। यह डेटा बैंकों, म्यूचुअल फंड, रजिस्ट्रार और अन्य रिपोर्टिंग संस्थानों से प्राप्त होता है। विभाग का उद्देश्य टैक्सपेयर्स को यह सूचित करना है कि उनके लेन-देन का पूरा विवरण विभाग के रिकॉर्ड में है।

CBDT ने बताया कि ये नोटिस केवल उन मामलों में भेजे गए हैं जहां ITR में किए गए खुलासे और थर्ड-पार्टी डेटा में बड़ा अंतर पाया गया है। ऐसे मामलों में, विभाग चाहता है कि टैक्सपेयर्स अपनी रिटर्न की समीक्षा करें और यदि कोई गलती हो, तो उसे सुधारें। टैक्सपेयर्स AIS की जांच कर सकते हैं और यदि आवश्यक हो, तो अपनी रिटर्न को संशोधित कर सकते हैं। वे लेट ITR भी दाखिल कर सकते हैं। यदि उन्हें लगता है कि उनकी फाइलिंग सही है, तो वे नोटिस को नजरअंदाज कर सकते हैं।

गलतियों को सुधारने की अंतिम तिथि

असेसमेंट वर्ष 202526 के लिए संशोधित या लेट ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। पिछले सप्ताह हजारों टैक्सपेयर्स को ऐसे ईमेल भेजे गए, जिनमें उन लोगों के नाम शामिल थे जिनके बैंक जमा, निवेश, दान जैसे उच्च मूल्य के लेन-देन ITR में दर्ज नहीं थे या घोषित आय की तुलना में काफी बड़े थे। यह कदम विभाग की डेटा आधारित निगरानी ड्राइव का हिस्सा है, जिसमें AIS, SFT, TDS और TCS से मिली जानकारी का उपयोग किया जाता है। विभाग चाहता है कि टैक्सपेयर्स समय पर अपनी गलतियों को सुधारें, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की कार्रवाई या समस्या से बचा जा सके.