अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में तनाव: 50% टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर टैरिफ
संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जो भारतीय समयानुसार सुबह 9:31 बजे से लागू हो चुका है। इस कदम से अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में तनाव बढ़ने की आशंका है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, इस अमेरिकी टैरिफ का भारतीय निर्यात पर 60.2 अरब डॉलर का नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वैलरी, श्राइंप, कारपेट और फर्नीचर जैसे श्रमिक क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की कमी आ सकती है, जिससे लाखों श्रमिक प्रभावित होंगे.
टैरिफ का निर्यात पर प्रभाव
भारत से अमेरिका को होने वाले लगभग 66% निर्यात पर यह शुल्क लागू होगा, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2025 में 86.5 अरब डॉलर होने का अनुमान है। यदि ये टैरिफ जारी रहे, तो अगले वर्ष निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इससे चीन, वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों को लाभ हो सकता है, जो अमेरिकी बाजार में इस कमी का फायदा उठा सकते हैं.
ट्रंप प्रशासन की नीति
ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि वह अतिरिक्त शुल्क लगाने में देरी नहीं करेगा। एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें मौजूदा शुल्कों के अलावा 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कही गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार, इन उच्च टैरिफ का उद्देश्य रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के साथ बातचीत के लिए प्रेरित करना है.
गुड्स एक्सपोर्ट पर संभावित प्रभाव
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा टैक्स बढ़ाने से भारत के लगभग 55% गुड्स एक्सपोर्ट (लगभग $87 बिलियन) प्रभावित हो सकते हैं। इससे बांग्लादेश, चीन और वियतनाम जैसे देशों को लाभ मिल सकता है। प्रभावित उद्योगों में टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वैलरी, श्राइंप और लेदर उत्पाद शामिल हैं। Moody’s का कहना है कि इससे निर्यात की मांग में कमी आ सकती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका के नए टैक्स के कारण भारतीय सामान की मांग में भारी गिरावट संभव है. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ग्राहक है, इसलिए बिक्री में कमी से नुकसान होगा. हालांकि, कुछ क्षेत्रों जैसे दवाइयां, स्मार्टफोन और स्टील पर इसका कम प्रभाव पड़ेगा.
भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका भारत को क्वाड ग्रुप के माध्यम से चीन के खिलाफ मजबूत करना चाहता था। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी इस सहयोग को मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की थी। अहमदाबाद में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत किसानों, छोटे उद्योगों और घरेलू उत्पादकों के हितों से समझौता नहीं करेगा। पीएम मोदी ने कहा, "दबाव बढ़ेगा, लेकिन हम सहन करेंगे, और रास्ता निकालेंगे."