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अनिल अग्रवाल का बड़ा कदम: वेदांता का कारोबार विभाजन 2026 तक पूरा होगा

अनिल अग्रवाल ने वेदांता के कारोबार विभाजन की योजना की घोषणा की है, जो मार्च 2026 तक पूरी होगी। इस प्रक्रिया के तहत, कंपनी के विभिन्न व्यवसायों को स्वतंत्र कंपनियों में विभाजित किया जाएगा, जिससे प्रत्येक को विकास के नए अवसर मिलेंगे। अग्रवाल का मानना है कि यह कदम न केवल शेयरधारकों के लिए लाभकारी होगा, बल्कि भारतीय उद्योग में नवाचार और निवेश को भी बढ़ावा देगा। जानें इस विभाजन की रणनीति और भविष्य की योजनाओं के बारे में।
 

वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की घोषणा

वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल

वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने बुधवार को जानकारी दी कि कंपनी के विभिन्न व्यवसायों के विभाजन की प्रक्रिया मार्च 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रक्रिया के बाद, पांच स्वतंत्र और सूचीबद्ध कंपनियों का गठन होगा। अग्रवाल ने बताया कि यह विभाजन प्रत्येक व्यवसाय को विकास के नए अवसर प्रदान करेगा, और हर नई कंपनी अपनी मूल कंपनी के समान स्तर पर पहुंचने की क्षमता रखेगी। एनसीएलटी ने मंगलवार को इस विभाजन योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना के अनुसार, बुनियादी धातु का कारोबार वेदांता लिमिटेड के पास रहेगा, जबकि अन्य चार कंपनियां वेदांता एल्युमिनियम, तलवंडी साबो पावर, वेदांता स्टील एंड आयरन और माल्को एनर्जी होंगी।


मार्च 2026 तक का लक्ष्य

मार्च तक का टारगेट सेट

अग्रवाल ने कहा कि वेदांता एक विशाल बरगद के पेड़ की तरह है, जिसमें हर व्यवसाय में अपार संभावनाएं हैं। उनका लक्ष्य है कि हर कंपनी वेदांता के बराबर राजस्व में वृद्धि करे। वास्तव में, वे पांच और वेदांता का निर्माण कर रहे हैं, जिससे शेयरधारकों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि विभाजन की प्रक्रिया अगले तीन से चार महीनों में पूरी होने की संभावना है। इस पुनर्गठन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर बड़ी संसाधन कंपनियों के विशेष व्यवसायों के मॉडल के अनुरूप होना है।


नई कंपनियों का अलग-अलग प्रबंधन

सभी कंपनियों का होगा अलग हिसाब

इस विभाजन के तहत, वेदांता के प्रत्येक शेयरधारक को नए बनने वाली कंपनियों के लिए एक-एक शेयर मिलेगा। हर नई कंपनी का अपना स्वतंत्र निदेशक मंडल और पेशेवर प्रबंधन होगा। प्रवर्तकों की हिस्सेदारी लगभग 50 प्रतिशत रहेगी, लेकिन वे दैनिक संचालन में शामिल नहीं होंगे। वेदांता के कुल ऋण का आंकड़ा लगभग 48,000 करोड़ रुपये है, जिसे विभाजन के बाद नई कंपनियों के नकदी प्रवाह के अनुसार बांटा जाएगा। अग्रवाल ने कहा कि तांबा और चांदी के उत्पादन में वृद्धि की जाएगी, एल्युमिनियम की क्षमता को दोगुना किया जाएगा, और अगले चार से पांच वर्षों में तेल एवं गैस उत्पादन को 10 लाख बैरल प्रतिदिन तक बढ़ाने का लक्ष्य है।


भविष्य की योजनाएं

डिविडेंड और कैपेक्स पॉलिसी

इसके अतिरिक्त, इस्पात और लौह अयस्क का कारोबार हरित इस्पात के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा, और बिजली उत्पादन की क्षमता 20,000 मेगावाट तक बढ़ाई जाएगी। अग्रवाल ने कहा कि विभाजन के बाद भी आक्रामक कैपेक्स जारी रहेगा और नियमित डिविडेंड का वितरण भी होगा। उनका मानना है कि यह विभाजन न केवल प्रत्येक व्यवसाय को स्वतंत्र पहचान देगा, बल्कि भारतीय उद्योग में निवेश, उत्पादन और नवाचार को भी नई दिशा प्रदान करेगा।