SKF इंडिया का नया डिमर्जर: ऑटो और इंडस्ट्रियल बिज़नेस में 1400 करोड़ का निवेश
SKF इंडिया का विभाजन
एसकेएफ इंडिया
ऑटो पार्ट्स के क्षेत्र में प्रमुख SKF इंडिया ग्रुप ने अपने ऑटोमोबाइल और औद्योगिक व्यवसाय को अलग करने का निर्णय लिया है। इस विभाजन के बाद, कंपनी अब दो स्वतंत्र इकाइयों के रूप में कार्य करेगी। दोनों इकाइयां मिलकर 2030 तक लगभग 1,460 करोड़ रुपए का निवेश करने और नई फैक्ट्रियों की स्थापना करने की योजना बना रही हैं।
इंडस्ट्रियल बिज़नेस का विभाजन
इंडस्ट्रियल बिज़नेस का डिमर्जर
1 अक्टूबर 2025 से औद्योगिक व्यवसाय का विभाजन प्रभावी हो गया है, जिसे मुंबई के NCLT ने स्वीकृति दी है। नई कंपनी SKF इंडिया (Industrial) Ltd को नवंबर 2025 तक शेयर बाजार में सूचीबद्ध करने की उम्मीद है, बशर्ते सभी नियामक अनुमतियाँ प्राप्त हों। इस योजना के तहत, SKF इंडिया Ltd के प्रत्येक शेयरधारक को SKF इंडिया (Industrial) Ltd का एक नया शेयर मिलेगा। पुरानी कंपनी अब ऑटोमोबाइल व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे निवेशकों को दो अलग-अलग विकास की कहानियों में निवेश का अवसर मिलेगा।
ऑटोमोबाइल बिज़नेस पर ध्यान
ऑटोमोबाइल बिज़नेस का फोकस
ऑटोमोबाइल यूनिट अब भारत की मोबिलिटी ट्रांसफॉर्मेशन पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों, हाइब्रिड मॉडल, प्रीमियम सेगमेंट, लास्ट-माइल डिलीवरी और उन्नत सुरक्षा प्रणालियाँ शामिल होंगी। कंपनी 2030 तक हरिद्वार, पुणे और बेंगलुरु में 410510 करोड़ रुपए का निवेश करने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य OEMs की बढ़ती मांग को पूरा करना है। इसके साथ ही, रिटेल और सर्विस नेटवर्क का विस्तार भी किया जाएगा ताकि कंपनी ऑटोमोबाइल निर्माताओं की पसंदीदा साझेदार बनी रहे।
इंडस्ट्रियल बिज़नेस का ध्यान
इंडस्ट्रियल बिज़नेस का फोकस
नई कंपनी SKF इंडिया (Industrial) Ltd औद्योगिक क्षेत्र में विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। इसमें मैन्युफैक्चरिंग, रेलवे, नवीकरणीय ऊर्जा, सीमेंट, खनन और धातु जैसे क्षेत्र शामिल हैं। ये सभी भारत की ऊर्जा परिवर्तन और बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस इकाई में 2030 तक 800950 करोड़ रुपए का निवेश होगा। चैनल विस्तार के साथ-साथ 2028 तक पुणे में एक नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित की जाएगी।
कंपनी का पोर्टफोलियो
कंपनी का पोर्टफोलियो
SKF इंडिया का व्यवसाय मुख्य रूप से रोटेटिंग शाफ्ट तकनीक पर आधारित है, जिसमें बेयरिंग्स, सील्स, लुब्रिकेशन प्रबंधन, कंडीशन मॉनिटरिंग और संबंधित सेवाएँ शामिल हैं।
डिमर्जर का कारण
क्यों किया गया डिमर्जर?
इस विभाजन को सबसे पहले FY24 की चौथी तिमाही में बोर्ड द्वारा स्वीकृत किया गया था। इसके बाद शेयरधारकों और नियामकों ने भी इसे मंजूरी दी। इसका उद्देश्य दोनों व्यवसायों को अधिक केंद्रित बनाना और निवेशकों के लिए बेहतर मूल्य निर्माण करना है।