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2026 में भारतीय शेयर बाजार की दिशा: AI, विदेशी निवेश और रिटेल निवेशकों की भूमिका

2026 में भारतीय शेयर बाजार की दिशा कई महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे AI का प्रभाव, विदेशी निवेशकों की वापसी और रिटेल निवेशकों का विश्वास। इस लेख में हम इन सभी पहलुओं का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि क्या बाजार में स्थिरता बनी रहेगी या नहीं। क्या निवेशक अपनी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख।
 

भारतीय शेयर बाजार का भविष्य

कैसा रहेगा बाजारImage Credit source: AI

हालांकि वैश्विक तनाव जारी है, फिर भी 2025 में भारतीय शेयर बाजार ने मजबूती दिखाई। सेंसेक्स ने इस वर्ष लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो अपने उच्चतम स्तर से केवल 1 प्रतिशत नीचे है। ऐसे में निवेशकों के मन में यह सवाल उठता है कि 2026 में बाजार का रुख क्या होगा। बाजार की दिशा कई महत्वपूर्ण सवालों पर निर्भर करेगी। आइए, इन्हें विस्तार से समझते हैं।


क्या AI का प्रभाव बना रहेगा?

हर बुल मार्केट में एक कहानी होती है जो निवेशकों को आकर्षित करती है। पहले IT सेवाएं, फिर इंफ्रास्ट्रक्चर और अब एआई का दौर है। एआई को लेकर यह विश्वास है कि यह व्यापार करने के तरीके को पूरी तरह बदल देगा। एआई से जुड़े क्षेत्रों जैसे चिप निर्माण, डेटा सेंटर और एडवांस सॉफ्टवेयर के शेयरों में तेजी आई है। इन कंपनियों का मूल्यांकन इस उम्मीद पर निर्भर है कि एआई भविष्य में बड़े मुनाफे देगा। लेकिन क्या ये उम्मीदें वास्तविकता में बदल पाएंगी? अगर कंपनियां अपने वादों पर खरी नहीं उतरतीं, तो बाजार में गिरावट आ सकती है।


शेयर बाजार का ट्रेंड क्या है?

2020 से 2024 के बीच लगभग सभी शेयरों में वृद्धि देखी गई, लेकिन 2025 में स्थिति बदल गई। अब हर शेयर में वृद्धि नहीं हो रही है, और कई कमजोर या महंगे शेयर पीछे रह गए हैं। वर्तमान में, लिस्टेड कंपनियों में से केवल एक-तिहाई शेयरों में वृद्धि हुई है। इसका मतलब है कि निवेशक अब अधिक सोच-समझकर निवेश कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि सेंसेक्स अपने उच्चतम स्तरों के करीब पहुंच गया है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर अभी भी अपने पुराने उच्चतम स्तर से नीचे हैं। यह दर्शाता है कि बाजार अब गुणवत्ता को प्राथमिकता दे रहा है।


क्या विदेशी निवेशक लौटेंगे?

भारतीय बाजार अब सस्ता नहीं है। बड़ी कंपनियां ऊंचे PE पर ट्रेड कर रही हैं, और मिड-स्मॉलकैप शेयर भी महंगे हैं। ऐसे में विदेशी निवेशकों के लिए निर्णय लेना आसान नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने लगातार भारतीय शेयर बेचे हैं। वैश्विक ब्याज दरें, डॉलर की मजबूती और अन्य बाजारों में आकर्षक अवसर इसकी मुख्य वजह हैं। हालांकि, घरेलू म्यूचुअल फंड लगातार भारतीय शेयरों में निवेश कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या 2026 में स्थिति बदल जाएगी? यदि डॉलर कमजोर हुआ और अमेरिका की ब्याज दरें घटीं, तो विदेशी निवेश वापस आ सकता है।


क्या रिटेल निवेशकों का विश्वास बना रहेगा?

पिछले कुछ वर्षों में, रिटेल निवेशक बाजार की रीढ़ बन गए हैं। SIP के माध्यम से लाखों लोग हर महीने निवेश कर रहे हैं। म्यूचुअल फंड में निवेशकों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर है। लेकिन 2025 में एक हल्की थकान भी देखी गई है। नए डीमैट अकाउंट खुलने की गति धीमी हो गई है। यदि बाजार लंबे समय तक स्थिर रहा या हल्की गिरावट आई, तो यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या रिटेल निवेशक धैर्य बनाए रखेंगे या पैसा निकालेंगे। रिटेल निवेशकों का मूड बदलने पर बाजार की दिशा भी बदल सकती है।


क्या IPO का उत्साह जारी रहेगा?

तेजी का बाजार IPO के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में कई कंपनियां ऊंचे मूल्यांकन पर शेयर बाजार में आईं। लेकिन यदि बाजार में धन की कमी हुई या निवेशक सतर्क हो गए, तो नई कंपनियों के लिए फंड जुटाना कठिन हो जाएगा। 2026 में IPO बाजार यह संकेत देगा कि निवेशकों का विश्वास कितना मजबूत है। यदि मांग कमजोर हुई, तो IPO की संख्या और उनकी कीमत दोनों पर असर पड़ेगा।


निष्कर्ष

2026 भारतीय शेयर बाजार के लिए उतना सरल नहीं होगा जितना पिछले कुछ वर्षों में रहा है। अब बाजार केवल कहानियों पर नहीं, बल्कि परिणामों पर ध्यान केंद्रित करेगा। कमाई, मूल्यांकन और निवेशकों का विश्वास, ये तीनों तत्व बाजार की दिशा तय करेंगे।

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