×

नरिवेट्टा: एक महत्वपूर्ण फिल्म जो सामाजिक अन्याय पर प्रकाश डालती है

फिल्म नरिवेट्टा एक महत्वपूर्ण मलयालम फिल्म है जो केरल के भूमिहीन आदिवासियों की कहानी को दर्शाती है। यह फिल्म 2003 में हुई एक वास्तविक घटना पर आधारित है, जहां पुलिस ने आदिवासियों पर गोली चलाई थी। निर्देशक अनुराज मनोहर ने इस फिल्म के माध्यम से सामाजिक अन्याय और पुलिस की क्रूरता को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है। फिल्म में पात्रों की गहराई और कहानी की गंभीरता दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है।
 

फिल्म की समीक्षा

मलयालम निर्देशक अनुराज मनोहर की फिल्म नरिवेट्टा ने कानून और उसके अंतर्गत होने वाले अन्यायों पर गहन विचार प्रस्तुत किया है। यह फिल्म केरल में बन रही महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है, जबकि हिंदी सिनेमा की तुलना में इसकी गुणवत्ता कहीं अधिक है।


नरिवेट्टा एक संपूर्ण फिल्म नहीं है, लेकिन यह केरल के भूमिहीन आदिवासियों की कहानी को दर्शाती है, जो पुलिस के साथ संघर्ष में हैं। यह फिल्म 2003 में मुथंगा गांव में हुई एक वास्तविक घटना पर आधारित है, जहां पुलिस ने आदिवासियों पर गोली चलाई थी।


फिल्म में पुलिस की क्रूरता को इस तरह से दर्शाया गया है कि दर्शक सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या वाकई में कमजोर वर्ग के लिए कोई न्याय है। नरिवेट्टा इस सवाल को गंभीरता से उठाती है। आदिवासी पात्रों को सरल और ईमानदार दिखाया गया है, जबकि पुलिस को क्रूरता का प्रतीक माना गया है।


मुख्य पात्र वर्जीस (टोविनो थॉमस) की यात्रा भी दिलचस्प है, जो अपने गांव में आराम से जीवन बिता रहा है, लेकिन धीरे-धीरे वह अपने कर्तव्यों की ओर अग्रसर होता है।


लेखक अबिन जोसेफ और निर्देशक अनुराज मनोहर ने थ्रिलर प्रारूप को अपनाया है, जिससे सामाजिक असमानता की त्रासदी को एक सूत्र में नहीं बांधा गया है। फिल्म में पुलिस की बर्बरता को दर्शाने वाले दृश्य अत्यंत प्रभावशाली हैं।


यह फिल्म न केवल अपने दायित्वों से भागती है, बल्कि यह साम्प्रदायिक हिंसा की राजनीति पर भी गहन दृष्टि डालती है। नरिवेट्टा हमारे समय का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो नागरिक समाज के स्तंभों के पीछे छिपी हिंसा को उजागर करता है।