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बिछिया पहनने की परंपरा: स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रतीक

भारतीय संस्कृति में बिछिया पहनने की परंपरा विवाहित महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसे सौभाग्य और लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के अनुसार, बिछिया को सही तरीके से पहनना आवश्यक है। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि इसे खोना या दूसरों को देना मां लक्ष्मी की कृपा में बाधा डाल सकता है। जानें इस परंपरा के पीछे के वैज्ञानिक और ज्योतिषीय कारणों के बारे में।
 

भारतीय संस्कृति में बिछिया का महत्व


भारतीय परंपरा में, विवाहित महिलाओं के लिए बिछिया पहनना एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसे सौभाग्य और लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और इसे सही तरीके से पहनना आवश्यक है।


ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा के सुझाव

उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष शर्मा ने कुछ महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं:


  • बिछिया को कभी भी पैर की दूसरी अंगुली से नहीं खोना चाहिए।
  • इसे किसी और को उतारकर नहीं देना चाहिए।
  • ऐसा करने से पति की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है।


बिछिया में लक्ष्मी का वास

  • विवाहित महिलाओं को बिछिया दाएं और बाएं पैर की दूसरी अंगुली में पहननी चाहिए।
  • चांदी की पायल और बिछिया को लक्ष्मी का वाहन माना जाता है, इसलिए इन्हें सही तरीके से पहनना शुभ होता है।


बिछिया और स्वास्थ्य लाभ

  • महिलाओं की पैर की दूसरी अंगुली की तंत्रिका गर्भाशय से जुड़ी होती है, जो हृदय से होकर गुजरती है।
  • बिछिया पहनने से गर्भाशय स्वस्थ रहता है और रक्तचाप सामान्य बना रहता है।
  • इसलिए, दाएं और बाएं पैर की दूसरी अंगुली में बिछिया पहनना स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।


निष्कर्ष

बिछिया पहनने की परंपरा सदियों पुरानी है और यह सौभाग्य का प्रतीक है। इसे खोना या दूसरों को देना मां लक्ष्मी की कृपा में बाधा डाल सकता है। सही अंगुली पर बिछिया पहनना न केवल शुभ है, बल्कि यह आपके और आपके परिवार के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए भी लाभकारी है।