सहदेवी: एक चमत्कारी औषधीय पौधा और इसके लाभ
सहदेवी, जिसे अश फ्लीबेन के नाम से भी जाना जाता है, एक नाजुक लेकिन शक्तिशाली औषधीय पौधा है। इसकी ऊँचाई एक से तीन फीट तक होती है और यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में सहायक है। इसके अद्भुत गुणों के कारण इसे देवी का दर्जा प्राप्त है। इस लेख में सहदेवी के 36 चमत्कारी लाभों के बारे में विस्तार से बताया गया है, जैसे ज्वर, मूत्रदाह, और अन्य रोगों में इसके उपयोग। जानें कैसे यह पौधा आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है।
Jul 22, 2025, 14:45 IST
सहदेवी का परिचय
सहदेवी, जिसे अश फ्लीबेन भी कहा जाता है, एक नाजुक पौधा है जिसकी ऊँचाई एक से तीन फीट तक होती है। यह पौधा भले ही कोमल दिखता हो, लेकिन तंत्र शास्त्र और आयुर्वेद में इसकी महत्ता किसी विशेषज्ञ से कम नहीं है। इसके अद्भुत गुणों के कारण इसे देवी का दर्जा प्राप्त है। सहदेवी की पत्तियाँ तुलसी या पुदीने की पत्तियों के समान पतली होती हैं, और इसके सफेद फूल होते हैं। यह पौधा आमतौर पर बलुई मिट्टी में पाया जाता है और इसकी कई प्रजातियाँ होती हैं।
सहदेवी के नाम और उपयोग
संस्कृत में इसे महबला, सहदेवी, और गोवन्दनी कहा जाता है। हिंदी में इसे सहदेवी और सदोई के नाम से जाना जाता है।
प्रयोजन अंग: मूल, पुष्प, बीज और पंचांग। स्वाद: तीखा। गुण: स्वेदजन्न, कृमिघ्र, शोथघ्र। उपयोग: जलोधर और विषम ज्वर में सहायक।
सहदेवी के 36 अद्भुत लाभ
- ज्वर में पसीना लाने के लिए इसका काढ़ा या स्वरस दिया जाता है।
- बिस्फोटक में सहदेई के पंचांग का लेप करने से सभी प्रकार के विस्फोटकों का नाश होता है।
- मूत्रदाह रोग में इसका स्वरस लाभकारी होता है।
- कृमि रोग में इसके बीज का शहद के साथ सेवन करने से कृमियों का नाश होता है।
- अर्श (बवासीर) में इसके पंचांग का उपयोग लाभकारी है।
- सहदेई का मूल सर के पास रखकर सोने से अच्छी नींद आती है।
- अश्मरी (पथरी) में इसके पत्तों का स्वरस लाभकारी होता है।
- मुख रोग में इसके मूल का क्वाथ कुल्ला करने से लाभ होता है।
- कुष्ट रोग में पीत पुष्प वाली सहदेई का स्वरस पीने से लाभ होता है।
- सहदेई की जड़ के टुकड़े कमर में बांधने से अतिसार रोग मिट जाता है।
- बुखार होने पर इसे बच्चों को भी दिया जा सकता है।
- रक्तदोष, खाज खुजली और त्वचा की सुंदरता के लिए सहदेवी का पाउडर लाभकारी है।
- कंठमाला रोग में इसकी जड़ गले में बांधने से शीघ्र रोग मुक्ति होती है।
- प्रसव-वेदना निवारक के रूप में इसकी जड़ का उपयोग किया जाता है।
- सहदेई के पत्ते काली मिर्च के साथ पीसकर पीने से ज्वर दूर होता है।
- सहदेई की ठंडाई पिलाने से बालक को शीतला नहीं निकलती है।
- सफेद फूल वाली सहदेई के पत्तों का रस निकालकर उपयोग करने से लाभ होता है।
- सहदेई के पत्तों का काजल लगाने से आँखों की समस्या दूर होती है।
- इसकी जड़ को तेल में पीसकर घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है।
- सहदेवी का पंचांग पीने से रक्त प्रदर रोग दूर होता है।
- हरिताल के साथ इसकी जड़ का लेप करने से श्लीपद रोग में लाभ होता है।